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सिंहस्थ 2028 : मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा—“स्थायी विकास और किसानों की सहमति के साथ बनेगा ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी”, सिंहस्थ-2028 को लेकर सरकार ने बनाई मास्टर प्लानिंग; बिजली आपूर्ति होगी और मज़बूत!
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को सिंहस्थ-2028 की तैयारियों पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस भव्य आयोजन को न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि इसके जरिए उज्जैन को ग्लोबल स्पिरिचुअल सिटी के रूप में विकसित करने का लक्ष्य भी रखा गया है। सीएम ने स्पष्ट किया कि सिंहस्थ के विकास कार्य किसानों की सहमति और जनसहयोग से ही होंगे।
स्थायी अधोसंरचना पर फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ से प्रेरणा लेते हुए उज्जैन में सिंहस्थ-2028 के लिए स्थायी अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछली बार सिंहस्थ-2016 में लगभग 650 करोड़ रुपये खर्च कर 3000 हेक्टेयर भूमि पर अस्थायी संरचनाएँ खड़ी की गई थीं, जिन्हें आयोजन के बाद हटा दिया गया। लेकिन इस बार लक्ष्य है कि श्रद्धालुओं और संत समाज की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऐसी व्यवस्थाएँ बनाई जाएँ जो लंबे समय तक टिकाऊ साबित हों।
किसानों को नाराज़ नहीं किया जाएगा
डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ के आयोजन के लिए हज़ारों एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है और इसमें स्थानीय किसानों का सहयोग बेहद अहम है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार किसी किसान को नाराज़ नहीं करेगी। लैंड पूलिंग की प्रक्रिया पारदर्शी और सहमति से होगी। “सिंहस्थ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का गौरव है, और हम सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।
30 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान
मुख्यमंत्री के अनुसार, वर्ष 2028 का सिंहस्थ अब तक का सबसे बड़ा होगा। अनुमान है कि करीब 30 करोड़ श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेंगे। इसके लिए सुरक्षा, यातायात, आवास और बिजली जैसी सभी व्यवस्थाओं को उच्च स्तर पर तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए बारिश और आंधी-तूफान जैसी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर मजबूत ढांचा खड़ा किया जा रहा है।
बिजली व्यवस्था होगी और मज़बूत
सिंहस्थ 2028 के मद्देनज़र बिजली आपूर्ति को लेकर भी सरकार ने विशेष कार्ययोजना बनाई है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने निर्देश दिए कि मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) उज्जैन में अपनी पूरी पारेषण प्रणाली को और सुदृढ़ बनाए और सभी कार्य आयोजन से एक वर्ष पूर्व पूरे कर ले।
चल रहे प्रोजेक्ट्स
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चिंतामन सबस्टेशन : 132 केवी का नया सबस्टेशन बन रहा है, जिसका काम शुरू हो चुका है।
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त्रिवेणी बिहार सबस्टेशन : इसके लिए टेंडर प्रक्रिया जारी है।
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शंकरपुर सबस्टेशन : 20 एमवीए ट्रांसफॉर्मर को अपग्रेड कर 50 एमवीए का नया ट्रांसफॉर्मर लगाया जाएगा।
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ताजपुर सबस्टेशन : यहाँ 400 केवी नेटवर्क का विस्तार होगा। 50 एमवीए क्षमता का नया ट्रांसफॉर्मर और 33 केवी के चार नए फीडर जोड़े जाएंगे।
पावर ट्रांसको की निगरानी
एमपी ट्रांसको के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग हो और गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। उनका कहना था कि यदि सभी प्रोजेक्ट एक साल पहले पूरे हो जाते हैं, तो पारेषण व्यवस्था की स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सकेगी।
सिंहस्थ-2028 केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था, धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाई देने का अवसर है। महाकाल लोक के बाद उज्जैन पहले से ही धार्मिक पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभरा है। सिंहस्थ से यह प्रभाव कई गुना बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दोहराया कि सिंहस्थ 2028 केवल उज्जैन नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गौरव और आत्मसम्मान का विषय है।