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- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, मस्तक पर हीरा जड़ित त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र और चंद्र के साथ भांग-चन्दन किया गया अर्पित
- श्री महाकालेश्वर मंदिर में एंट्री का हाईटेक सिस्टम हुआ लागू, RFID बैंड बांधकर ही श्रद्धालुओं को भस्म आरती में मिलेगा प्रवेश
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54/84 श्री कंटेश्वर महादेव
54/84 श्री कंटेश्वर महादेव
प्राचीन समय में राजा सत्य विक्रम थे। शत्रुओं ने उनका राज्य छीन लिया, जिससे वह वन में भ्रमण करने लगे। एक दिन उसने वन में भ्रमण करते हुए वषिष्ठ मुनि का आश्रम देखा। मुनि के पूछने पर राजा ने अपनी पूरी कहानी उनसे कह दी। वषिष्ठ मुनि ने राजा सत्य विक्रम से कहा कि आप अवंतिका नगरी में महाकाल वन के समीप जाऐं और वहां आपको एक तपस्वी मिलेंगे। राजा वषिष्ठ मुनि की आज्ञा से महाकाल वन में आया और उस तपस्वी के दर्शन किए। तपस्वी ने अपनी हुंकार से उसे स्वर्ग की अप्सराऐं और जल परियों के दर्शन करा दिए। राजा ने उनसे पूछा कि यह क्या था तो तपस्वी ने कहा कि अब तुम शत्रुओं के नाष के लिए महादेव का पूजन करेा। शिवलिंग के दर्शन मात्र से राजा केे शत्रु मरण को प्राप्त हो गए और राजा ने निष्कंटक पृथ्वी पर राज्य किया और अंत काल में परमपद को प्र्राप्त किया। मान्यता है कि कण्टेश्वर के दर्शन मात्र से मनुष्यों के सभी कंटक नाष होते हैं और वह शंकर के सानिध्य को प्राप्त करता है।