36/84 श्री मार्कण्डेश्वर महादेव

36/84 श्री मार्कण्डेश्वर महादेव :

कई वर्षो पूर्व मृकण्ड नाम के एक ब्राम्हण थे। वे वेद अध्ययन करते थे। उन्हे चिंता थी कि उनके यहां पुत्र नही है। उन्होने पुत्र की कामना से हिमालय पर जाकर कठोर तप प्रारंभ कर दिया। अनके तप के कारण सृष्टि में अकाल पडने ओर सूर्य ओर चांद के अस्त होने की स्थिति निर्मित होने लगी। इस पर पार्वती ने शिव को कहा कि यह आपका भक्त है जो तप कर रहा है। आप इसकी कामना पूर्ण करे। शिव ने कहा पार्वती आपके कहने पर मै इसकी तपस्या पूर्ण करूगा। आप ब्राम्हण से कहें कि वह महाकाल वन में पत्तनेश्वर के पूर्व में स्थित पुत्र देने वाले शिवलिंग का पूजन करें। आकाषवाणी के बाद ब्राम्हण महाकाल वन में गया और शिवलिंग का पूजन किया। शिव पार्वती ने शिवलिंग से प्रकट होकर ब्राम्हण को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। शिव के वरदान से वहां महामुनि मार्कण्डेय प्रकट हुए। इस पर वे तुरंत ही शिव की आराधना करने बेठ गए। मार्कण्डेय को तप करते देख शिव ने कहा कि अब शिवलिंग तुम्हारे नाम से विख्यात होगा। मार्कण्डेय के प्रकट होने ओर पूजन से शिवलिंग मार्कण्डेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। जो भी मनुष्य शिवलिंग का पूर्ण श्रद्धा से पूजन करगा वह सदा सुखी ओर परमगति को प्राप्त होगा।

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