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ये हैं वो 8 वजूहात, जिनके कारण उज्जैन नहीं बन रहा महानगर
उज्जैन | एक नया शहर बस जाए, इतनी योजनाएं यूडीए के पास अटकी पड़ी हैं। यदि ये जमीन पर उतर आए तो 7980 परिवारों के मकान का सपना पूरा हो जाएगा। 945 दुकानों सहित इलेक्ट्रानिक्स मार्केट, शाॅपिंग कॉॅम्प्लेक्स, ट्रांसपोर्ट नगर का बड़ा कारोबारी क्षेत्र विकसित हो जाएगा। इतना ही नहीं यहां मल्टी फ्लैक्स, खेल मैदान, स्कूल-कॉलेज, पुलिस स्टेशन भी बनना प्रस्तावित है। ये सबकुछ आठ ऐसी योजनाओं से हो सकता है, जिन्हें यूडीए ने शुरू तो किया लेकिन बीच में अटक गई। कुल 509 करोड़ रुपए की लागत से खड़े होने वाले इस नए शहर के ज्यादातर मामले जमीन अधिग्रहण को लेकर अटके हुए हैं। कहीं किसानों ने जमीन देने से इनकार कर दिया तो कहीं जमीन के मालिकाना हक को लेकर दो-दो लोगों ने आपत्ति जता रखी है। इन आपत्तियों की सुनवाई संभागायुक्त कार्यालय में चल रही है। यहीं वजह है कि लंबा समय बीत जाने के बाद भी योजनाओं पर अमल नहीं किया जा सका।
क्यों अटके प्रोजेक्ट? – प्रस्ताव बना, किसानों से जमीन लेने के लिए समझौते हुए, जब जमीन अधिग्रहीत करने पहुंचे तो आपत्तियां आने लगी, काम रोकना पड़ा।
फिर क्या किया? – आपत्तियों के निराकरण के लिए संभागायुक्त कार्यालय में मामले पहुंचे। यहां इतने सालों से सुनवाई ही चल रही है, नतीजतन काम शुरू नहीं हो सका।
असर क्या हुआ? – दो स्तर पर असर पड़ा। पहला- शहर का विकास थम गया। दूसरा- समय बीतने से इन प्रस्तावों की लागत बढ़ गई, अब लोगों को ये महंगे पड़ेंगे।
अब क्या होगा? – अफसरों का दावा है छह महीने मे
ये 8 योजनाएं अटकी हैं, जिसकी वजह से महानगर बनने से पिछड़ रहा हमारा शहर
कॉम्प्लेक्स, मल्टी फ्लैक्स, खेल मैदान, ट्रांसपोर्ट नगर, स्कूल-कॉलेज, सहित कई योजनाओं पर यूडीए नहीं कर पा रहा अमल
यूडीए के इतने प्रोजेक्ट कि 8000 मकानों, 945 दुकानों का छोटा शहर बस जाए, पर जमीन पर ही नहीं आ पा रहे
1. शिप्रा विहार एक्सटेंशन योजना : देवास रोड पर शक्करवासा, लालपुर और हामूखेड़ी में आवासीय योजना प्रस्तावित है। शासन से 2010 में स्वीकृति मिली थी। 24 हेक्टेयर में योजना को मूर्तरूप दिया जाना है। गार्डन, मकान और दुकानों का निर्माण किया जाना है। एक मार्च 2013 को योजना का अंतिम प्रकाशन हो चुका है।
2. सांवराखेड़ी पीएसपी योजना : हरिफाटक मार्ग से लगे सांवराखेड़ी और जीवनखेड़ी की 75.639 हेक्टेयर जमीन पर योजना प्रस्तावित है। 2011 में यह योजना लाई थी जो कि पीएसपी यानी सार्वजनिक/अर्ध सार्वजनिक है। शासन से इसकी स्वीकृति मिल चुकी है।
3. मल्टी फ्लैक्स : अलखनंदानगर में व्यावसायिक प्लाट को यूडीए ने 2008 में बहा् इंटरेक्टिव कंपनी को बेचा था। यहां पर मल्टी फ्लैक्स का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
4. आगर रोड आवासीय योजना : यहां अटकी – नक्शे में संशोधन चलता रहा। उसके बाद अब नगर निगम से बिल्डिंग परमिशन ली जा रही है।
5. शाॅपिंग कॉम्प्लेक्स :
इसलिए जरूरी – शहर को एक और मल्टी फ्लैक्स मिलेगा। व्यवसाय में भी बढ़ोतरी होगी। स्थानीय लोगों को व्यापार के लिए मार्केट मिल सकेगा।
यहां अटकी – यूडीए ने जमीन की रजिस्ट्री नहीं की है। इससे प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जमीन दर को लेकर प्रकरण लोकायुक्त में चल रहा है।
6. ट्रांसपोर्ट नगर : इंदौर रोड पर डेंडिया के पास यह योजना 2011 से प्रस्तावित है। 22. 642 हेक्टेयर में इसे मूर्त रूप दिया जाना है। योजना पर 49 करोड़ रुपए खर्च होंगे। धारा 50/7 की कार्रवाई हो चुकी है। 21 जनवरी 2011 को अंतिम प्रकाशन हो चुका है। यूडीए अधिग्रहण की राशि एक करोड़ प्रशासन को जमा कर चुका है।
7. इलेक्ट्रानिक्स मार्केट : इंदौर रोड पर 16 हजार 170 वर्गमीटर जमीन पर यूडीए 5 दिसंबर 16 को कब्जा ले चुका है। वर्तमान में इस जमीन का बाजार मूल्य 40 करोड़ है। यहां पर यूडीए इलेक्ट्रानिक्स मार्केट बनाने पर विचार कर रहा है।
8. त्रिवेणी विहार एक्सटेंशन : इंदौर रोड पर गोयला खुर्द और मालनवासा में यह योजना प्रस्तावित है। 10 सितंबर 2009 को शासन से स्वीकृति मिली थी। योजना 13 हेक्टेयर जमीन पर आकार लेगी। 30 मार्च 2013 को इसका गजट नोटिफिकेशन हो चुका है।