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महाकाल मंदिर पूजा पद्धति से हमारा कोई लेना-देना नहीं : सुप्रीम कोर्ट
उज्जैन | महाकालेश्वर मंदिर में पूजा के नए नियमों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताकर लागू करवाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। मंदिर प्रबंधन समिति को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा- पूजा-पद्धति से हमारा कोई लेना-देना नहीं। साथ ही समिति को इससे जुड़े सभी बोर्ड तुरंत हटाने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुरुवार सुबह महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग को पहुंच रहे नुकसान को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। जस्टिस अरुण मिश्रा ने सबसे पहले मंदिर प्रशासन से पूछा कि क्या ऐसा कोई बोर्ड मंदिर में लगाया गया है कि वहां पर लागू किए गए पूजा-पद्धति के नए नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लागू हुए हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से बताया गया कि ऐसे कई बोर्ड हैं। इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने उन बोर्ड की फोटो कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा और साथ ही कहा कि बोर्ड लगाने वाले जिम्मेदार शख्स के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। मंदिर प्रशासन की ओर से बोर्ड के फोटो मंगवाकर कोर्ट के समक्ष पेश किए गए। शेष|पेज 8 पर
मंदिर में लगाए गए बोर्ड में इस बात का उल्लेख था कि मंदिर में पूजा-पद्धति के नए नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लागू किए गए हैं।
फोटो देखते ही जस्टिस मिश्रा ने मंदिर प्रबंध समिति को फटकार लगाते हुए कहा कि हमने तो ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया। उन्होंने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती कैसे हो या उस वक्त शिवलिंग को सूती कपड़े से ढंका जाए या नहीं? इस तरह का तो उन्होंने कोई आदेश नहीं दिया। न ही उन्होंने पंचामृत को लेकर कोई आदेश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट का महाकालेश्वर मंदिर की पूजा-पद्धति से कोई लेना-देना नहीं है।
जस्टिस मिश्रा ने फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई शिवलिंग के संरक्षण के लिए की थी और इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट उन्हें दी थी। इसके बाद मंदिर की प्रबंध समिति ने कोर्ट में अपने सुझाव दिए थे। उन सुझावाें पर अपनी सहमति देना आदेश देना नहीं होता। समिति लोगों को गुमराह कर रही है। यह अवमानना का मामला बनता है। समिति तुरंत उनके नाम वाले सभी बोर्ड मंदिर परिसर से हटवाए। साथ ही जस्टिस मिश्रा ने चेतावनी दी कि इस मुद्दे पर गलत रिपोर्टिंग करने वालों और गलत बयानबाजी करने वाले पक्षकारों पर भी अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।