- नंदी हाल से गर्भगृह तक गूंजे मंत्र—महाकाल के अभिषेक, भस्मारती और श्रृंगार के पावन क्षणों को देखने उमड़े श्रद्धालु
- महाकाल की भस्म आरती में दिखी जुबिन नौटियाल की गहन भक्ति: तड़के 4 बजे किए दर्शन, इंडिया टूर से पहले लिया आशीर्वाद
- उज्जैन SP का तड़के औचक एक्शन: नीलगंगा थाने में हड़कंप, ड्यूटी से गायब मिले 14 पुलिसकर्मी—एक दिन का वेतन काटने के आदेश
- सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संदेश, उज्जैन में निकला भव्य एकता मार्च
- सोयाबीन बेचकर पैसा जमा कराने आए थे… बैंक के अंदर ही हो गई लाखों की चोरी; दो महिलाओं ने शॉल की आड़ में की चोरी… मिनट भर में 1 लाख गायब!
राधाकृष्ण मंदिर की जमीन पर बनेगी देश की पहली मलखंब अकादमी
उज्जैन। खेल अकादमियों की तर्ज पर देश की पहली मलखंब अकादमी उज्जैन में स्थापित होगी, जहां खेल प्रतिभाओं को मलखंब का प्रशिक्षण मिलेगा। जिला प्रशासन द्वारा श्री राधाकृष्ण मंदिर की जमीन पर अकादमी के लिए जमीन आवंटन की कवायद की जा रही है। जल्द ही खेल व युवा कल्याण विभाग को जमीन दे दी जाएगी। इसके बाद अकादमी का विस्तृत प्रोजेक्ट बनेगा।
खेल व युवा कल्याण विभाग ने जिला प्रशासन से मलखंब अकादमी के लिए 2 बीघा जमीन मांगी है। आगर रोड फोरलेन स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर की 20 बीघा जमीन में से यह जमीन देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रशासन इस जमीन का अधिकतर हिस्सा नगर निगम को प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए देने की तैयारी कर चुका है। नगर निगम प्रशासन भी अकादमी स्थापना के लिए अपनी रजामंदी अनौपचारिक रूप से दे चुका है।
मंदिर की जमीन के बदले जमीन दूसरी जगह दी जाएगी। मलखंब अकादमी बनने से उज्जैन की देश में नई पहचान बनेगी। प्रदेश व देश के खिलाड़ी यहां मलखंब का प्रशिक्षण ले सकेंगे। वर्तमान में प्रदेश में उज्जैन सहित इंदौर, खरगोन, बैतूल, दतिया, पन्ना, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, ग्वालियर, टीकमगढ़, जबलपुर, छतरपुर व सागर में संचालित हैं। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री पारस जैन भी मलखंब अकादमी की स्थापना के लिए प्रयास कर रहे हैं।
पारंपरिक विधा, प्रदेश में राज्य खेल
मलखंब देश का ऐसा पारंपरिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के एक उर्ध्व खंबे या रस्सी के ऊपर शारीरिक करतब का प्रदर्शन करता है। इसमें जो खंब प्रयुक्त होता है, उसे मलखंब कहते हैं। प्रदेश सरकार ने इसे राज्य खेल घोषित किया है। राष्ट्रीय स्पर्धा में इसके तीन प्रकार हैं। फिक्स्ड व हैंगिंग मलखंब पुरुषों के लिए तथा शेप मलखंब महिलाओं के लिए होता है।
मलखंब का इतिहास
19वीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव-2 के गुरु श्री बालम भट्ट दादा देवधर ने इस विधा को एक नई पहचान दी। सन् 1958 में पहली बार नेशनल जिमनास्टिक चैंपियनशिप के तहत मलखंब को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शामिल किया।
प्रक्रिया चल रही
मलखंब स्थापित करने के लिए राधाकृष्ण मंदिर पर जमीन आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। पारस जैन, ऊर्जा मंत्री, मप्र शासन
प्रस्ताव भेजा
अकादमी के लिए प्रशासन को जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव भेजा है। प्रशासन द्वारा राधाकृष्ण मंदिर की जमीन में से मलखंब अकादमी के लिए जमीन देने की प्रक्रिया की जा रही है। जमीन मिलने के बाद विस्तृत योजना तैयार होगी। – रूबिका देवान, जिला खेल व युवा कल्याण अधिकारी