कम्प्यूटर है और ऑपरेटर भी..फिर भी हाथ से बन रही भातपूजा की रसीद

उज्जैन। मंगलनाथ मंदिर में आला अफसरों की अनदेखी के कारण व्यवस्था बदहाल है। कार्यालय में कम्प्यूटर है और ऑपरेटर भी, फिर भी भातपूजा की रसीद हाथ से बनाई बनाई जा रही है। सूत्र बताते हैं इस व्यवस्था से शासन को प्रतिवर्ष लाखों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है।

मंदिर में पूजन अनुसार शासकीय रसीद काटने का प्रावधान है। सामान्य भातपूजा 1100 रुपए में होती है। इसके लिए 150 रुपए की शासकीय रसीद काटी जाती है। इसी प्रकार 2100 की पूजा के लिए 200, 5100 की पूजा के लिए 500 तथा 11000 की पूजा के लिए 1000 रुपए की शासकीय रसीद कटवाना अनिवार्य है। देश-विदेश से आने वाले भक्त पंडितों को मंदिर समिति द्वारा निर्धारित राशि का एकमुश्त भुगतान कर देते हैं। पंडित मंदिर के अधिकारियों से पूजन की रसीद कटवाते हैं। ऐसे में बड़ी पूजा के लिए भी सामान्य पूजन की रसीद काट दी जाती है। अधिकांश मामलो में शेष राशि पंडित व मंदिर प्रशासन के मुलाजिम आपस में बांट लेते हैं। कई बार श्रद्घालु मामले की शिकायत भी करते हैं। लेकिन शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। एक पखवाड़े पहले ही मंदसौर से आई श्रद्घालु अनिता मेहर ने इसकी शिकायत की थी। मामला चिमनगंज मंडी थाने तक पहुंचा, लेकिन इसे भी दबा दिया गया। उधर, मंगलवार को मंदिर में 381 भातपूजा हुई।

भस्मारती अनुमति की तर्ज पर बने कम्प्यूटराइज्ड रसीद

-मंगलनाथ में भातपूजा की कम्प्यूटराइज्ड रसीद महाकाल मंदिर की भस्मारती अनुमति की तर्ज पर बनना चाहिए।

-दर्शनार्थी एक दिन पहले फार्मभर कर अगले दिन की बुकिंग कराएं।

-इसमें दर्शनार्थी का नाम, पता, फोटो आईडी आदि के साथ पूजन का प्रकार भी लिखा होना चाहिए।

-रसीद पर पुजारी का नाम तथा अनुमति जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर भी होना चाहिए।

-बुकिंग के क्रम अनुसार पूजन कराने का नंबर भी रसीद पर अंकित होना चाहिए।

यह होंगे फायदे

-शासन को पूरा राजस्व प्राप्त होगा।

-एक दिन पहले बुकिंग होने से मंदिर प्रशासन को पता होगा की आज कितनी भातपूजा है।

-उसके अनुसार मंदिर के गर्भगृह में व्यवस्था की जाएगी।

-दर्शनार्थियों को रसीद पर अंकित निर्धारित क्रम से पूजा कराई जाएगी।

-श्रद्घालुओं को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी।

जल्द शुरू करेंगे सुविधा

मंदिर में कम्प्यूटराइज्ड रसीद की सुविधा जल्द शुरू की जाएगी। इसके लिए आला अधिकारियों से मार्ग दर्शन मांगा है।

-नरेंद्रसिंह राठौर, प्रशासक मंगलनाथ मंदिर प्रबंध समिति

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