नया तरीका : व्हाट्सएप से फोटो भेजो और 100 रुपये में प्रमाण-पत्र ले जाओ

उज्जैन। शासन द्वारा वाहनों के इंश्योरेंस के दौरान वाहन प्रदूषण सर्टिफिकेट लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। दो पहिया से लेकर बड़े ट्रक, डम्पर व अन्य वाहनों तक के अलग-अलग शुल्क भी निर्धारित किये गये हैं। वाहन प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी करने के लिये शासन द्वारा एजेंसी नियुक्त की गई है जो मशीन के द्वारा वाहनों से होने वाले प्रदूषण की जांच करने के बाद सार्टिफिकेट जारी करती है, लेकिन इन दिनों प्रदूषण सर्टिफिकेट देने वालों ने नया तरीका निकाल लिया है। व्हाट्सअप के माध्यम से मोबाइल पर वाहन का फोटो लेकर वाहन प्रदूषण के सर्टिफिकेट जारी किये जा रहे हैं और घर पहुंच सेवा का अतिरिक्त शुल्क भी वसूला जा रहा है।

आरटीओ विभाग से संबद्ध और यातायात पुलिस की देखरेख में वाहन प्रदूषण जांच एजेंसी द्वारा शहर के बाहरी मार्गों पर मशीनें लगाकर दो पहिया से लेकर सभी प्रकार के वाहनों के प्रदूषण की जांच की जाती है। इसके लिये शासन स्तर पर वाहनों के मान से अलग-अलग शुल्क भी निर्धारित किया गया है। वाहनों के इंश्योरेंस से पहले वाहन प्रदूषण सर्टिफिकेट अनिवार्य होने के कारण इंश्योरेंस एजेंट वाहन मालिकों को वाहन सहित बुलाते हैं और जांच कराते हैं, इस व्यवस्था से लोगों को परेशानी महसूस होती है। अब वाहन प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी करने वालों ने इस परेशानी को दूर करने का अजीब तरीका निकाल लिया है, हालांकि इसके लिये लोगों को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है।

ऐसे हो रहा रुपयों का खेल
वाहन का इंश्योरेंस कराने से पहले प्रदूषण सर्टिफिकेट लेने में लगने वाले समय से बचने के लिये लोग इंश्यारेंस एजेंट से वाहन न लाने के बावजूद सार्टिफिकेट की बात कहते हैं। इधर प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी करने वालों द्वारा ऐसे मामलों में वाहन का फोटो व्हाट्सअप पर मंगा लिया जाता है जिसमें वाहन का नम्बर व चेचिस नम्बर स्पष्ट दिखता हो। इसी फोटो के माध्यम से रिकार्ड कम्प्यूटर में दर्ज करने के बाद 6 माह के लिये प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। हालांकि लोगों को इस काम के लिये निर्धारित शुल्क के अलावा 100-200 रुपये अतिरिक्त देना होते हैं।

यह है नियम- यदि किसी व्यक्ति को अपने दो पहिया वाहन का इंश्योरेंस करवाना है तो उसे वाहन आरटीओ कार्यालय लेकर जाना होगा। यहां वाहन प्रदूषण जांच मशीन से दो पहिया वाहन के सायलेंसर को जोड़ा जाता है साथ ही कम्प्यूटर या लैपटॉप में वाहन नम्बर, चेचिस नम्बर आदि दर्ज करने के बाद मशीन द्वारा दर्शाये गये आंकड़े को दर्ज किया जाता है। इस प्रक्रिया में करीब 15-20 मिनिट का समय लगता है और मशीन ऑपरेटर द्वारा दो पहिया वाहन के लिये निर्धारित शुल्क लेकर तुरंत सर्टिफिकेट दे दिया जाता है।

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