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स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 : 3 से 10 लाख की आबादी में उज्जैन नंबर 1….लेकिन अब इनका क्या करें
उज्जैन:स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में उज्जैन को नंबर वन पर पहुंचाने वाले नगर निगम के अधिकारी कॉलोनियों में घूमते सूअर, आवारा कुत्ते और मवेशियों को हटाने में विफल साबित हुआ है।शहर में कई ऐसे बड़े नाले खुले पड़े हैं जिनमें आवारा मवेशी गिरकर घायल होते हैं, जबकि आमजनों में भी दुर्घटना का भय रहता है।
ऋषिनगर में इन दिनों सूअरों की तादाद इतनी अधिक हो गई है कि घरों के बाहर बच्चे और बूढ़ों को पैदल घूमना अथवा वाहनों से आवागमन करना मुश्किल हो गया है। कुछ लोग तो ऋषिनगर का नाम बदलकर सूअर नगर करने की चर्चा करते भी दिखाई दिये हैं। यहां के रहवासियों ने चर्चा में बताया 24 घंटे सूअर पूरी कॉलोनी में घरों के बाहर और जहां-तहां झुंड में घूमते नजर आते हैं।
महाकाल वाणिज्यिक, वेदनगर, जवाहरनगर, आनंदनगर आदि कॉलोनियों में भी सूअरों का आतंक है जिनसे लोगों को स्वाइन फ्लू का खतरा बना रहता है। नगर निगम अधिकारियों की अनदेखी का एक ओर नमूना आवारा कुत्ते और मवेशी हैं।
पूरे शहर में आवारा कुत्तों के झुंड वाहन चालकों के आगे आकर दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं तो आवारा मवेशी बीच सड़कों, चौराहों पर खड़े होकर यातायात बाधित कर रहे हैं। लोगों का कहना है स्वच्छता में 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में शहर भले ही नंबर वन बन गया हो लेकिन आम लोगों से जुड़ी सूअर और आवारा मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने में नगर निगम पूरी तरह विफल रहा है।
नालों से बदबू के साथ खतरा भी
वेदनगर, नानाखेड़ा, इंदिरानगर जैसे मुख्य मार्ग और कॉलोनियों में बड़े नाले स्थित हैं जो 10 से 15 फीट गहरे होने के साथ 5 से 10 फीट तक चौड़े भी हैं। इन नालों की बदबू के कारण लोगों का जीवन दूभर है तो इनमें आवारा मवेशी गिरकर आये दिन घायल होते हैं। साथ ही लोगों की जान को भी खतरा बना रहता है। लोगों का कहना है कि शायद स्वच्छता अभियान के अंतर्गत नालों पर फर्शियां लगाना और सुरक्षा के उपाय करना नहीं आता। इसी कारण नगर निगम द्वारा अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है।