उज्जैन में श्राद्ध पक्ष की शुरुआत: सिद्धवट घाट पर उमड़े श्रद्धालु, ऑनलाइन तर्पण की सुविधा भी उपलब्ध; 7 से 21 सितंबर तक चलेगा पितृपक्ष!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

देशभर में रविवार, 7 सितंबर से श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष) की शुरुआत हो गई है। 21 सितंबर तक चलने वाले इन 15 दिनों में श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और जलदान करेंगे। धार्मिक नगरी उज्जैन का इस दौरान विशेष महत्व है, क्योंकि इसे “उत्तर भारत का गया” कहा जाता है।

उज्जैन में तर्पण की परंपरा

उज्जैन के सिद्धवट घाट, रामघाट और गया कोटा जैसे पवित्र स्थलों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। मान्यता है कि मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। परंपरा यह भी है कि माता पार्वती ने सिद्धवट पर वटवृक्ष रोपा था और आज भी यहां दूध अर्पित करने की परंपरा निभाई जाती है।

इतिहासिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास काल के दौरान अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण उज्जैन में ही किया था। इसी कारण श्राद्ध पक्ष में उज्जैन की धार्मिक आस्था और भी बढ़ जाती है।

इस बार उज्जैन में ऑनलाइन तर्पण की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। स्थानीय पंडितों के अनुसार, जो श्रद्धालु किसी कारणवश उज्जैन नहीं आ पा रहे हैं, वे ऑनलाइन माध्यम से पिंडदान और तर्पण कर सकते हैं। रविवार को बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) के सुरेंद्र शर्मा और गाजियाबाद के अमर उपाध्याय ने ऑनलाइन तर्पण कर पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित की और पंडितों को ऑनलाइन दक्षिणा भी दी।

श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चलेगा। इस बार कुल 15 दिनों का श्राद्ध होगा क्योंकि एक तिथि क्षय हो रही है।

  • 7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण श्राद्ध केवल दोपहर 12:58 बजे तक ही किया गया।

  • पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, श्राद्ध पक्ष का शुभारंभ सुबह 6 बजे से दोपहर तक संपन्न हुआ।

विशेष बात यह है कि 18 सितंबर को पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन किया गया श्राद्ध सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला और पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।

तिथि अनुसार श्राद्ध का क्रम

  • 7 सितंबर (रविवार): पूर्णिमा का श्राद्ध (दोपहर 12:58 बजे तक)

  • 8 सितंबर (सोमवार): प्रतिपदा श्राद्ध

  • 9 सितंबर (मंगलवार): द्वितीया श्राद्ध

  • 10 सितंबर (बुधवार): तृतीया श्राद्ध

  • 11 सितंबर (गुरुवार): चतुर्थी और कुमार पंचमी का श्राद्ध

  • 12 सितंबर (शुक्रवार): षष्ठी श्राद्ध

  • 13 सितंबर (शनिवार): सप्तमी श्राद्ध

  • 14 सितंबर (रविवार): अष्टमी श्राद्ध

  • 15 सितंबर (सोमवार): नवमी श्राद्ध

  • 16 सितंबर (मंगलवार): दशमी श्राद्ध

  • 17 सितंबर (बुधवार): एकादशी श्राद्ध

  • 18 सितंबर (गुरुवार): द्वादशी श्राद्ध (संन्यासियों का श्राद्ध)

  • 19 सितंबर (शुक्रवार): त्रयोदशी श्राद्ध (मघा श्राद्ध)

  • 20 सितंबर (शनिवार): चतुर्दशी श्राद्ध (अकाल मृत्यु/अपघात से मृत व्यक्तियों के लिए)

  • 21 सितंबर (रविवार): सर्वपितृ अमावस्या – पितृपक्ष का अंतिम दिन

उज्जैन का श्राद्ध पक्ष सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का महापर्व है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि क्षिप्रा नदी में किया गया तर्पण पितरों को शांति और मोक्ष प्रदान करता है। साथ ही, ऑनलाइन तर्पण जैसी आधुनिक सुविधाएं उन श्रद्धालुओं के लिए बड़ा सहारा साबित हो रही हैं, जो शारीरिक रूप से उज्जैन नहीं पहुंच पा रहे।

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