भगोरिया से घूमर तक, महाकाल की नगरी में दिखेगी भारत की संस्कृति: आज सवारी में 8 राज्यों के जनजातीय और लोक कलाकार होंगे सम्मिलित, रामघाट पर छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कलाकार देंगे विशेष प्रस्तुतियाँ!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप इस वर्ष भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण सवारी को एक भव्य, सांस्कृतिक और लोक परंपरा से समृद्ध स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। इसी क्रम में, भगवान श्री महाकालेश्वर की दूसरी सवारी (दिनांक 21 जुलाई 2025) में देशभर के 8 राज्यों के जनजातीय और लोक कलाकार सम्मिलित होंगे, जो पवित्र नगर भ्रमण मार्ग पर अपनी विशिष्ट लोक संस्कृतियों की प्रस्तुति से शिवभक्ति को और दिव्यता प्रदान करेंगे।

इस सांस्कृतिक यात्रा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और ओडिशा की जनजातीय लोक संस्कृतियों का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद और त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय उज्जैन के सहयोग से ये दल श्री महाकाल की सवारी में शामिल होकर नगरवासियों और श्रद्धालुओं को दुर्लभ सांस्कृतिक दर्शन कराएंगे।

🔸 प्रमुख सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ:

1. भगोरिया नृत्य – झाबुआ (म.प्र.)

भील जनजातीय परंपरा से निकला भगोरिया नृत्य होली से पहले मनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव है। इसे “गैर” नृत्य भी कहा जाता है। पुरुष और महिलाएं मिलकर ढोल की थाप पर जोशीले नृत्य करते हैं, जो जीवन की खुशी और मिलन को दर्शाता है।

2. सोंगी मुखौटा नृत्य – नाशिक (महाराष्ट्र)

मुखौटों से सजे कलाकार भगवान नरसिंह, कालभैरव व वेताल रूप धारण कर संबल, पावरी और ढोल की ताल पर पारंपरिक युद्ध शैली में नृत्य करते हैं। यह नृत्य सत्य की विजय का प्रतीक है।

3. राठवा नृत्य – गुजरात

राठवा जनजाति द्वारा प्रस्तुत यह नृत्य होली पर्व की धार्मिक श्रद्धा को दर्शाता है, जिसमें कलाकार बड़े राम ढोल, बांसुरी, शहनाई के संग पारंपरिक परिधान में समूह नृत्य करते हैं।

4. गैर-घूमरा नृत्य – राजस्थान

मेवाड़ और मारवाड़ का यह प्राचीन गैर नृत्य, पुरुषों द्वारा डंडों के साथ गोल घेरा बनाकर किया जाता है, जबकि महिलाएं पारंपरिक घूमर नृत्य में गोल-गोल घूमती हैं।

5. जोड़ी शंख – ओडिशा

शंख, चंगू और माहुरी की ध्वनि के साथ ओडिशा के गंजम ज़िले का यह नृत्य पिरामिड निर्माण और श्वास नियंत्रण के अद्भुत योगासनों से सजीव होता है। यह धार्मिक आयोजनों में शक्ति, युद्धकला और भक्ति का अद्भुत संगम है।

6. पंथी नृत्य – छत्तीसगढ़

गुरु घासीदास जी के उपदेशों से प्रेरित यह निर्गुण भक्ति पर आधारित नृत्य उनकी महिमा और आशीर्वाद की याचना करता है। कलाकार कठिन करतबों और भक्तिमय गीतों के साथ यह नृत्य प्रस्तुत करते हैं।

7. हरियाणवी घूमर – हरियाणा

फागुनी त्योहारों पर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला यह घूमर नृत्य प्रेम, उल्लास और मांगलिक ऊर्जा से भरा होता है। महिलाएं रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्रों में लोकगीतों पर आनंदित होकर नृत्य करती हैं।

8. बरेदी नृत्य – छतरपुर (म.प्र.)

बुंदेलखंड अंचल का यह नृत्य कृष्ण और गोवर्धन पूजा से जुड़ा है। ग्वालों की परंपरा, गायों के प्रति श्रद्धा और लोकगान इसमें देखने को मिलता है। नर्तक घर-घर जाकर ढोलक और झांझ की थाप पर नृत्य करते हैं।

🔹 रामघाट पर विशेष प्रस्तुतियाँ:

श्री महाकालेश्वर की पालकी के रामघाट आगमन पर दो विशेष प्रस्तुतियाँ होंगी।

  1. छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य – श्री दिनेश कुमार जागड़े के दल द्वारा

  2. ओडिशा का जोड़ी शंख नृत्य – श्री सुनील कुमार साहू के नेतृत्व में

वहीं क्षिप्रा नदी के दूसरी ओर दत्त अखाड़ा क्षेत्र में –

3. हरियाणवी घूमर – श्री अजय कुमार के दल द्वारा
4. बरेदी लोकनृत्य – श्री रवि अहिरवार के दल द्वारा विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जाएगी।

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