महाकाल लोक की तर्ज पर बनेगा ‘इंद्रेश्वर लोक’, इंदौर को मिलेगा नया धार्मिक पर्यटन स्थल; 4 करोड़ 36 लाख की लागत से पंढरीनाथ से इंद्रेश्वर महादेव तक बनेगा कॉरिडोर!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

इंदौर, मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का एक अहम हिस्सा है। इसी धरती पर स्थित प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव मंदिर न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि शहर के नामकरण की कहानी से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इंदौर का नाम, इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से ही पड़ा था। अब इसी मंदिर परिसर को नई पहचान मिलने जा रही है।

इंदौर विकास प्राधिकरण ने मंदिर के कायाकल्प का खाका तैयार किया है। जिस तरह उज्जैन में महाकाल लोक ने धार्मिक पर्यटन को नया आयाम दिया, उसी तर्ज पर इंदौर में ‘इंद्रेश्वर लोक’ विकसित किया जाएगा। पंढरीनाथ मंदिर से इंद्रेश्वर महादेव मंदिर तक लगभग 4 करोड़ 36 लाख रुपए की लागत से कॉरिडोर बनाया जाएगा। यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि इंदौर के धार्मिक गौरव को पुनर्जीवित करने का प्रयास है।

मंदिर परिसर का होगा कायाकल्प

जिला प्रशासन ने मंदिर और आसपास के क्षेत्र को विकसित करने की कार्ययोजना शुरू कर दी है। सबसे पहले अवैध निर्माण और अनियोजित ढाँचों की पहचान के लिए सर्वे किया जा रहा है। इंदौर संभागायुक्त दीपक सिंह के निर्देशन में इस पूरे प्रोजेक्ट को आकार दिया जाएगा। हाल ही में बोर्ड बैठक में मंदिर को नई शक्ल देने का प्रस्ताव पारित किया गया था और कंसल्टेंसी फर्म ने मंदिर का विस्तृत सर्वे भी पूरा कर लिया है।

मंदिर के प्राचीन स्वरूप को संरक्षित करते हुए उसे आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। दशकों पुराने पत्थर की दीवारों और पोल का केमिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा ताकि उनका क्षरण रुके और उनकी ऐतिहासिक चमक बरकरार रहे। साथ ही, मंदिर की दीवारों पर धार्मिक और सांस्कृतिक कथाओं को दर्शाते हुए म्यूरल्स बनाए जाएंगे।

शिखर की होगी मरम्मत, पहचान बनी रहेगी कायम

इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का शिखर समय के साथ कुछ क्षतिग्रस्त हो चुका है। लेकिन इसे तोड़कर नया बनाने की बजाय, प्रशासन ने इसे पारंपरिक स्वरूप में ही संरक्षित करने का निर्णय लिया है। शिखर की केवल मरम्मत कर उसे इतना मजबूत किया जाएगा कि अगले 60 से 70 साल तक उसकी स्थिरता बनी रहे। यही शिखर इस प्राचीन मंदिर की असली पहचान है और इसे ज्यों का त्यों सुरक्षित रखा जाएगा।

इंद्रेश्वर लोक का स्वरूप

प्रशासन की योजना के अनुसार, मंदिर परिसर में आने वाले भक्तों को भव्य प्रवेश द्वार से स्वागत किया जाएगा। परिसर में पारंपरिक शैली के पत्थर के स्तंभ (पोल) बनाए जाएंगे। दर्शन के बाद श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त बैठने की व्यवस्था, लैंडस्केपिंग, पूजन सामग्री और प्रसाद की दुकानें भी बनाई जाएंगी। मंदिर के आस-पास के क्षेत्र को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा, ताकि यह केवल पूजा का स्थान न रहकर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन सके।

सीईओ रामप्रकाश अहिरवार के अनुसार, इंद्रेश्वर महादेव मंदिर को देश के अन्य प्रमुख पौराणिक स्थलों की तरह विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य मंदिर को न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से भी सशक्त पहचान दिलाना है।

पंढरीनाथ से इंद्रेश्वर तक कॉरिडोर

इस परियोजना की सबसे खास बात यह होगी कि पंढरीनाथ मंदिर से इंद्रेश्वर महादेव मंदिर तक एक सीधा कॉरिडोर बनाया जाएगा। वर्तमान में इंदौर आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुँचने के लिए स्थानीय लोगों से मार्ग पूछना पड़ता है। लेकिन कॉरिडोर बनने के बाद, जैसे ही कोई श्रद्धालु पंढरीनाथ पहुँचेगा, उसे सीधे इंद्रेश्वर लोक का भव्य स्वरूप दिखाई देगा।

मंदिर के समीप ही स्थित मंगलनाथ महादेव मंदिर को भी इस विकास योजना से जोड़ा जाएगा। इससे इंदौर के मध्य क्षेत्र में ही एक नया धार्मिक पर्यटन स्थल तैयार होगा, जो न केवल स्थानीय भक्तों को बल्कि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा।

इंदौर की पहचान से जुड़ी आस्था

इंद्रेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह इंदौर के इतिहास, आस्था और पहचान का प्रतीक है। जिस मंदिर से इस शहर का नाम पड़ा, अब उसी मंदिर से इंदौर को नई पहचान और भव्य धार्मिक धरोहर मिलने वाली है।

‘इंद्रेश्वर लोक’ का निर्माण इंदौर को धार्मिक और सांस्कृतिक मानचित्र पर और भी सशक्त स्थान देगा। आने वाले समय में यह प्रोजेक्ट इंदौर के लिए वही भूमिका निभाएगा, जो उज्जैन में महाकाल लोक ने निभाई है।

Leave a Comment