उच्च शिक्षा में नवाचार की नई लहर: राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ डिजिटल वेबिनार, विशेषज्ञों ने किया मंथन!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय एक बार फिर अपने शैक्षणिक नवाचारों और डिजिटल पहलों के लिए सुर्खियों में है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (MMTTC) के संयुक्त तत्वावधान में “डिजिटल इनिशिएटिव्स फॉर क्वालिटी एनहांसमेंट इन हायर एजुकेशन” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी ने शिक्षकों, शोधार्थियों और शैक्षणिक प्रशासकों को नई दिशा दी। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधार और नवाचार को डिजिटल माध्यमों से मजबूती देना था।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने कहा, “डिजिटल क्रांति ने शैक्षणिक जगत में नवाचार की नई राह खोली है। विक्रम विश्वविद्यालय को UGC ने इस दिशा में अगुवाई करने का जो विशेष दायित्व सौंपा है, वह गौरव का विषय है। यह संगोष्ठी इसी दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।” संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अभियांत्रिकी विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डॉ. उमेश कुमार सिंह ने बताया कि कैसे तेजी से बदलते शिक्षा जगत में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अध्यापन से लेकर मूल्यांकन तक हर प्रक्रिया को नई दृष्टि दे रहा है।
तकनीकी सत्र में सुप्रसिद्ध शिक्षाविद और पूर्व कुलपति प्रोफेसर ए. के. बक्शी ने “डिजिटल युग में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु नवाचारपूर्ण शिक्षण विधियाँ” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने 21वीं सदी के लिए आवश्यक 12 प्रमुख दक्षताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आज के विद्यार्थी को केवल विषय ज्ञान नहीं, बल्कि तार्किक सोच, रचनात्मकता, टीम वर्क, डिजिटल दक्षता और नेतृत्व जैसे गुणों से भी युक्त होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा के उद्देश्य को “ज्ञान हस्तांतरण” से “व्यक्तित्व विकास और नागरिक निर्माण” की ओर ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इसके बाद प्रोफेसर विमल रार ने विशेष सत्र में बताया कि पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों की सीमाओं को अब प्रोजेक्ट-बेस्ड, अनुभवात्मक और सहभागिता आधारित तरीकों से दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “आज का विद्यार्थी केवल जानकारी नहीं, बल्कि अनुभव, प्रयोग और भागीदारी चाहता है। डिजिटल विधाओं से जुड़कर हम विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर, खोजी और नवाचारशील बना सकते हैं।”
रसायन शास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. उमा शर्मा ने मंच संचालन के साथ अतिथियों का परिचय दिया, वहीं डॉ. डी. डी. बेदिया, निदेशक (IQAC) ने समापन पर सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और आयोजन टीम का आभार व्यक्त किया।