महाकाल मंदिर में कांवड़ यात्रियों की तैयारियाँ तेज़: गेट क्रमांक-4 से विशेष प्रवेश, 118 दलों में से 40 ने पहले ही भेजे आवेदन; मंदिर समिति ने शुरू की ऑनलाइन-ऑफलाइन अग्रिम अनुमति प्रक्रिया!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में कांवड़ यात्रियों की चहल-पहल तेज़ हो गई है। हर साल की तरह इस बार भी झारखंड, कोलकाता, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों से हज़ारों की संख्या में कांवड़ यात्री उज्जैन पहुँच रहे हैं। मंदिर समिति के पास अब तक करीब 40 कांवड़ संघों ने अग्रिम अनुमति के लिए आवेदन कर दिए हैं। हर साल यहाँ करीब 118 कांवड़ यात्रा संघ आते हैं, जिनमें से ज़्यादातर अग्रिम अनुमति लेकर आते हैं ताकि भगवान महाकाल के दर्शन और जलाभिषेक में कोई व्यवधान न हो।
मंदिर समिति के उप प्रशासक एसएन सोनी ने बताया कि जो संघ पहले से अनुमति लेते हैं, उन्हें मंदिर के गेट क्रमांक-4 से विशेष प्रवेश दिया जाता है। वहाँ से सीधे सभामंडप पहुँचकर जल पात्र में जलाभिषेक कर दर्शन लाभ लेते हैं। वहीं जो कांवड़िए अग्रिम अनुमति नहीं लेते, उन्हें सामान्य दर्शनार्थियों के साथ फेसिलिटी सेंटर और महाकाल टनल के रास्ते से कार्तिकेय मंडपम तक ले जाया जाता है, जहाँ वे भगवान को जल अर्पित कर वापस निकलते हैं।
दिलचस्प बात ये है कि कांवड़ संघ में 100 से लेकर 5 हज़ार तक कांवड़िए शामिल होते हैं। उनके पदाधिकारी पहले से उज्जैन पहुँचकर ठहरने, भोजन, प्रसाद और अन्य व्यवस्थाओं को पुख़्ता करते हैं। श्रावण मास में शनिवार से सोमवार तक और अन्य बड़े पर्वों पर अधिक भीड़ होने के कारण यह अग्रिम अनुमति की सुविधा अस्थाई रूप से स्थगित कर दी जाती है।
मंदिर समिति ने कांवड़ संघों के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्रकार की व्यवस्था की है। संघ उज्जैन आने की तारीख, समय, यात्रियों की संख्या बताकर मंदिर की वेबसाइट, ईमेल या डाक से अनुमति आवेदन भेज सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया धार्मिक उत्सवों की विशालता और श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए की जाती है, ताकि भक्त बिना अव्यवस्था के भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर सकें।
श्रावण मास के इस पवित्र अवसर पर उज्जैन नगरी एक बार फिर आस्था, भक्ति और शिव प्रेम में डूबी दिखाई दे रही है। हर ओर “जय श्री महाकाल” के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। माना जाता है कि श्रावण में महाकाल का जलाभिषेक करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही वजह है कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु अपने कंधों पर कांवड़ उठाकर महाकाल की नगरी में उमड़ पड़ते हैं।