उज्जैन से चौंकाने वाली घटना: मंदिर के पुजारी और उनके परिवार का हुआ सामाजिक बहिष्कार, बच्चों को स्कूल से निकाला गया; बाल काटने और मजदूरी पर भी लगी रोक!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के झलारिया पीर गांव से एक अत्यंत चौंकाने वाली और सामाजिक दृष्टिकोण से चिंताजनक घटना सामने आई है। गांव की एक खाप पंचायत जैसी बैठक में नागराज मंदिर के पुजारी पूनमचंद चौधरी और उनके पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं, इस परिवार के बच्चों की स्कूल से पढ़ाई छुड़वा दी गई, परिवार के सदस्यों की दाढ़ी-केश कटिंग, मजदूरी और गांव की किसी भी सेवा पर भी अघोषित रोक लगा दी गई है।
गांव की सार्वजनिक पंचायत में, जो नागराज मंदिर परिसर में आयोजित हुई थी, पूर्व पंचायत मंत्री गोकुल सिंह देवड़ा ने माइक पर खड़े होकर पंचायत का निर्णय पढ़कर सुनाया। इस बैठक में बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे और उन्होंने हाथ उठाकर इस फैसले को अपनी सहमति दी। इसका वीडियो भी सामने आया है, जिसमें यह सब स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है। पंचायत ने साफतौर पर कहा कि जो भी व्यक्ति इस फरमान का उल्लंघन करेगा, उस पर ₹51,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।
क्या है विवाद की जड़?
करीब 4 हजार की आबादी वाले इस गांव में स्थित देव धर्मराज मंदिर की वर्षों से देखरेख पूनमचंद चौधरी और उनका परिवार करता आ रहा है। मंदिर के पास की लगभग 4 बीघा भूमि पर यह परिवार खेती कर गुजारा करता है। पुजारी परिवार का आरोप है कि गांव के कुछ प्रभावशाली लोग मंदिर की भूमि पर कब्जा करना चाहते हैं और उसी मकसद से मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर 6 लाख रुपए चंदा इकट्ठा कर मंदिर को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की कोशिश कर रहे हैं। जब पुजारी परिवार ने इसका विरोध किया, तो उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया और 14 जुलाई को गांव में एक पंचायत बुलाकर उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
बच्चों को स्कूल से निकालने तक पहुंचा मामला
पंचायत के फरमान के अगले ही दिन पुजारी के तीनों बच्चों—13 वर्षीय संध्या (कक्षा 8वीं), 10 वर्षीय सतीश (कक्षा 5वीं) और 6 वर्षीय विराट (कक्षा 3वीं)—को गांव के प्राइवेट स्कूल से निकाल दिया गया। स्कूल प्रबंधन ने साफतौर पर कहा कि पंचायत की ओर से मुनादी करवाई गई है और हम बच्चों को नहीं पढ़ा सकते। बच्चों की शिक्षा पर ऐसी सामूहिक और मनमानी कार्रवाई ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है।
“न बुलाया, न आए, इसलिए फैसला सुनाया”
पूर्व पंचायत मंत्री गोकुल सिंह देवड़ा ने कहा कि पुजारी को कई बार समझाया गया, लेकिन वे नहीं माने और कोर्ट चले गए। 14 जुलाई की बैठक में उन्हें बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं आए और उनके भेजे गए चौकीदार को भगा दिया गया। इसलिए यह निर्णय “सर्व समाज” की सहमति से लिया गया। साथ ही उन्होंने ये भी माना कि मंदिर की भूमि से जुड़ा विवाद कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन “जन भावनाओं” को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
कलेक्टर से शिकायत, जांच के आदेश
इस अमानवीय और असंवैधानिक फरमान के खिलाफ पुजारी पूनमचंद चौधरी ने उज्जैन कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि उनका सामाजिक बहिष्कार किया गया है, कार्यक्रमों में बुलाया नहीं जा रहा, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे और मजदूर तक उनके खेत में काम करने नहीं आ रहे। कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं।