धार्मिक लोक के रूप में विकसित होगा तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की घोषणा; मुख्यमंत्री डॉ. यादव बोले – सिंहस्थ 2028 को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तराना स्थित तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित महंताई कार्यक्रम में शामिल होकर श्रद्धा और आध्यात्मिकता का संदेश दिया। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महंत श्री मोहन भारती महाराज की महंताई में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सनातन धर्म ही विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है, जो प्रकृति को आत्मसात करता है और उसके संरक्षण में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी को सनातन धर्म को समझना है, तो उसे हमारे साधु-संतों के आचरण, उनकी दिनचर्या और उनकी आध्यात्मिक जीवनशैली को देखना चाहिए। साधु-संतों का तप, त्याग और अनुशासन सनातन धर्म की गहराई को परिभाषित करता है।

दरअसल, गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन जिले के तराना में ₹2,489.65 करोड़ की लागत से निर्मित नर्मदा-क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने तराना के प्राचीन तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर में जाकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर के महंताई उत्सव में भी भाग लिया था।

इस अवसर पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महंत श्री मोहन भारती महाराज के महंत पद ग्रहण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने घोषणा की कि तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर को धार्मिक लोक के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे इसे एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में नई पहचान मिलेगी। जी हाँ संतों की मांग को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर क्षेत्र के विकास की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना और धर्मपरायणता का प्रतीक है। इसे एक विशेष धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को एक दिव्य और शुद्ध आध्यात्मिक अनुभव मिल सके।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि साधु-संत सनातन धर्म की धुरी हैं और उनके मार्गदर्शन में ही धर्म और संस्कृति का विस्तार होता आया है। उज्जैन में सिंहस्थ 2028 के लिए साधु-संतों को आमंत्रित करते हुए उन्होंने आश्वस्त किया कि इस ऐतिहासिक आयोजन की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। संतों की मांग के अनुरूप उज्जैन में स्थायी धार्मिक संरचनाओं का निर्माण कराया जाएगा, जिससे साधु-संतों को सिंहस्थ 2028 के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित संत समाज के आशीर्वाद लेते हुए कहा कि उनकी उपस्थिति हमेशा नई ऊर्जा का संचार करती है। उन्होंने कहा कि संतों के उच्च विचार, आदर्श कार्यशैली और उनकी प्रकृति से जुड़ी जीवनशैली सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह भी कहा कि साधु-संतों के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में सिंहस्थ 2028 को ऐतिहासिक बनाया जाएगा और उज्जैन को एक प्रमुख धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने का कार्य किया जाएगा।

गौसेवा को प्रदेश सरकार की प्राथमिकता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गौशालाओं के संरक्षण और गोपालकों को आर्थिक सहयोग देने के लिए विशेष योजनाएँ लागू की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की सभी गौशालाओं में प्रत्येक गोवंश के लिए प्रतिदिन ₹40 की अनुदान राशि दी जा रही है। इसके अतिरिक्त, जो गोपालक 10 से अधिक गायों का पालन-पोषण करेंगे, उन्हें ₹5 प्रति किलो दूध पर अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। यह योजना गौसेवा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

इस विशेष समारोह में अखाड़े के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि जी महाराज एवं अन्य संतों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ. यादव को चांदी की गौ माता का स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना पलक पटवर्धन के निर्देशन में बालिकाओं ने ‘नर्मदा क्षिप्रा स्तुति’ पर आधारित नृत्य नाटिका की आकर्षक प्रस्तुति दी, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं और साधु-संतों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, इस शुभ अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, उज्जैन के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, जूना अखाड़ा प्रवक्ता गोविंद सोलंकी, स्थानीय पार्षद महेश जोशी सहित बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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