उज्जैन हादसे की जांच में खुलासा – संकरी पुल, टू-वे ट्रैफिक और सुरक्षा खामियां बनीं तीन पुलिसकर्मियों की मौत का कारण: शिप्रा नदी में गिरी कार 68 घंटे बाद मिली, तीन पुलिसकर्मियों की मौत!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन में शनिवार रात हुआ बड़ा हादसा आखिरकार मंगलवार शाम को सामने आया। शनिवार रात 8:53 बजे शिप्रा नदी के पुल से नीचे गिरी कार करीब 68 घंटे बाद मंगलवार शाम 4:30 बजे नदी से निकाली गई। कार को स्थानीय तैराक मोहम्मद इरफान ने अपने पहले ही प्रयास में खोज निकाला। कार घटनास्थल से मात्र 70 मीटर दूर मिली और उसमें महिला आरक्षक आरती पाल का शव भी मौजूद था।

इस हादसे में कुल तीन पुलिसकर्मी सवार थे। इनमें से उन्हेल थाना प्रभारी अशोक शर्मा का शव रविवार को और एसआई मदनलाल निनामा का शव सोमवार को घटनास्थल से लगभग दो किलोमीटर दूर मिला था।

पिछले चार दिनों से NDRF, SDERF, पुलिस, होमगार्ड और तैराक दल के 130 सदस्य लगातार कार और आरक्षक की तलाश में जुटे थे। इनके पास सोनार मशीन, अंडरवाटर कैमरे, तीन बोट और दो डीप डायवर्स तक मौजूद थे, लेकिन कार को खोजने में सफलता नहीं मिल पाई।

आखिरकार, इस हादसे की गहराई में जाने पर तीन बड़ी वजहें और खामियां सामने आईं—

1. 7.5 मीटर चौड़े ब्रिज पर तीन गाड़ियों का एक साथ आना

घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि मात्र 7.5 मीटर चौड़े टू-लेन ब्रिज पर पुलिसकर्मियों की कार सामने चल रही एक गाड़ी को ओवरटेक करने की कोशिश कर रही थी।

उसी समय, सामने से तेज रफ्तार में एक और गाड़ी आ गई। जगह कम होने के कारण ब्रिज पर एक साथ तीन गाड़ियां आमने-सामने आ गईं। संतुलन बिगड़ने पर आरती पाल की कार सीधे नदी में जा गिरी।

तकनीकी रूप से देखा जाए तो पुल की कुल चौड़ाई 750 सेंटीमीटर यानी 7.5 मीटर है। दोनों ओर रेलिंग और पिलर के कारण केवल 6.5 मीटर जगह ही वाहनों के लिए बचती है
एक कार की औसत चौड़ाई लगभग 1.7 मीटर होती है। तीन गाड़ियों को निकलने के लिए कम से कम 5.25 मीटर की जगह चाहिए। ऐसे में सीमित जगह, अंधेरा और तेज रफ्तार ने हादसे को अंजाम दिया।

2. वन-वे ब्रिज पर टू-वे ट्रैफिक चलाना

हादसे की रात अनंत चतुर्दशी का पर्व था। इस कारण पास के 12 मीटर चौड़े बड़े ब्रिज को आम ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया गया था। उस ब्रिज से केवल गणेश विसर्जन की गाड़ियों को ही जाने दिया जा रहा था।

इसके चलते आम ट्रैफिक को मजबूरन 63 साल पुराने और महज 7.5 मीटर चौड़े छोटे वन-वे ब्रिज से होकर गुज़रना पड़ा।
इसी ब्रिज पर दोनों तरफ का ट्रैफिक चलाया जा रहा था। अगर बड़ा ब्रिज आम वाहनों के लिए खुला होता तो यह हादसा टल सकता था।

इसके अलावा, जहां से कार नदी में गिरी, वहां गार्ड स्टोन के बीच का गैप भी सामान्य से ज्यादा था। यही कारण था कि कार सीधा नदी में गिर गई।

3. पुल पर रेलिंग और लाइट का न होना

हादसे के समय पुल पर न रेलिंग लगी थी और न ही स्ट्रीट लाइट्स थीं। पूरा ब्रिज अंधेरे में डूबा हुआ था।

दरअसल, यह पुल एक सबमर्सिबल ब्रिज है, जिसे 1962 के आसपास तत्कालीन परिवहन मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने बनवाया था। ऐसे ब्रिज पर बरसात से पहले रेलिंग हटा दी जाती है ताकि पानी का बहाव रुक न पाए।

लेकिन इसी वजह से पुल पर सुरक्षा बेहद कमजोर हो गई थी। भीड़भाड़ वाले दिन, अंधेरे में और रेलिंग के बिना यह हादसा होना लगभग तय था।

कार ढूंढने में 4 दिन क्यों लगे?

तैराक मोहम्मद इरफान की भूमिका

मंगलवार को स्थानीय तैराक मोहम्मद इरफान ने टीआई से कहा – “मुझे बस एक मौका दीजिए।”
वे नदी में कूदे और एक घंटे की मशक्कत के बाद कार तक पहुंचे। उन्होंने तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी दी और इसके बाद SDERF टीम ने कार को बाहर निकाला।

NDRF का बयान

NDRF कमांडेंट ने बताया कि पानी में बहाव बहुत तेज और विजिबलिटी बेहद कम थी। गोताखोरों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। उनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर, बोट, अंडरवाटर कैमरे और सोनार-रे थे, लेकिन मटमैले पानी और मिट्टी के बहाव ने तलाश को बेहद मुश्किल बना दिया।

होमगार्ड का बयान

होमगार्ड अफसरों के मुताबिक, 5 किमी एरिया में लगातार सर्च चल रहा था। सोनार-रे से भी लोकेशन पकड़ने की कोशिश हुई, लेकिन नदी का बहाव और खुले बैराज गेट ने ऑपरेशन को और मुश्किल बना दिया।

बता दें, नाबालिग के अपहरण की रिपोर्ट की जांच के लिए पुलिस टीम चिंतामण थाना जा रही थी। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नाबालिग की लोकेशन मिलने के बाद इस मामले की जांच के लिए मूल रूप से अंतर सिंह मंडलोई को भेजा जाना था। लेकिन उस समय उनकी ड्यूटी गणेश विसर्जन व्यवस्था में लगी थी। ऐसे में थाना प्रभारी अशोक शर्मा ने खुद मौके पर जाने का फैसला किया।

उन्होंने थाने से एसआई मदनलाल निनामा को भी अपने साथ लिया। टीम को घटनास्थल तक जाने के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करना था, लेकिन वाहन स्टार्ट नहीं हो सका। इसके बाद महिला कॉन्स्टेबल आरती पाल ने अपनी निजी कार उपलब्ध कराई।

शाम करीब 7:30 बजे तीनों पुलिसकर्मी थाने से रवाना हुए। रास्ते में वे सबसे पहले अशोक शर्मा के घर पहुंचे, जहां थोड़ी देर रुककर उन्होंने पानी पिया। इसके बाद सभी चिंतामण थाना क्षेत्र की ओर निकल पड़े।

इसी दौरान जब कार शिप्रा नदी पर बने पुराने सबमर्सिबल पुल से गुजर रही थी, तब हादसा हो गया। पुल की सीमित चौड़ाई और सामने से आ रही गाड़ियों के कारण संतुलन बिगड़ा और कार सीधे नदी में जा गिरी।

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