उज्जैन बनी हनुमानमय: जयकारों से गूंज उठा शहर, हनुमान जयंती पर भक्ति का महासंगम!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन की पवित्र भूमि इस शनिवार हनुमान जयंती के पावन पर्व पर श्रद्धा, भक्ति और उल्लास से सराबोर हो उठी। शहर के कोने-कोने में बजरंगबली के जयकारों की गूंज, मंदिरों की घंटियों की ध्वनि और भक्ति की धारा ने ऐसा वातावरण रच दिया, मानो स्वयं पवनपुत्र भक्तों के मध्य साक्षात् विराजमान हों। उज्जैन के प्रमुख हनुमान मंदिरों में एक दिन पहले से ही भव्य तैयारियां शुरू हो गई थीं। कहीं विद्युत सज्जा से मंदिर जगमगा रहे थे तो कहीं सुन्दरकांड पाठ की स्वर-लहरियाँ वातावरण को भक्तिमय बना रही थीं।

गेबी हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी। यहां भगवान हनुमान का विशेष श्रृंगार किया गया—सिंहासन पर विराजमान भगवान को विशेष वस्त्रों और आभूषणों से सजाया गया, और फूलों से मंदिर के गर्भगृह को सुसज्जित किया गया। मंदिर के महंत स्कन्द दास जी ने बताया कि इस पावन अवसर पर भगवान को 51 लीटर दूध से बनी खीर और 101 किलो हलवे का भोग अर्पित किया गया, जिसे प्रसाद रूप में भक्तों में वितरित किया गया।

शहर के जूना महाकालेश्वर प्रांगण स्थित बाल विजय मस्त हनुमान मंदिर से शनिवार शाम 6:30 बजे एक भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें श्री बाल हनुमान जी रजत पालकी में विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए निकले। बैंड-बाजों, ध्वज-पताकाओं, झांकियों, हाथियों और घोड़ों के साथ यह शोभायात्रा एक अनुपम भक्ति दर्शन का अनुभव करवा रही थी। यहां एक क्विंटल नुक्ती का महाभोग अर्पित किया गया, और दिनभर मंगला आरती, अखंड रामायण पाठ, महाआरती आदि कार्यक्रम भक्तों की आस्था को और सघन करते रहे।

भैरवगढ़ स्थित श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर में विशेष चोला श्रृंगार किया गया। संगीतमय सुन्दरकांड पाठ और महाआरती के साथ भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। मान्यता है कि यहां हनुमान चालीसा का पाठ करने से सुख, शांति, सुरक्षा और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

वहीं गाड़ी अड्डा चौराहा स्थित बाबा बाल हनुमान मंदिर में भी जन्मोत्सव की शुरुआत दूध, पंचामृत, गंगाजल, केसर और दुर्लभ जड़ी-बूटियों से रुद्राभिषेक के साथ हुई। बाल हनुमान जी को मखमली पोशाक पहनाकर अत्यंत आकर्षक श्रृंगार किया गया। दोपहर में सुंदरकांड पाठ और शाम को मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में महाआरती का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों की भागीदारी रहेगी।

इस सम्पूर्ण उत्सव ने यह सिद्ध कर दिया कि उज्जैन सिर्फ शिव की नगरी नहीं, बल्कि वह भूमि है जहाँ हनुमान भक्ति की लौ भी उतनी ही प्रज्वलित रहती है। हनुमान जयंती के इस पर्व ने शहर को भक्ति के रंगों से सराबोर कर दिया — जहाँ हर मंदिर एक केंद्र बना श्रद्धा का, और हर भक्त बना एक जीवंत कथा उस अपार आस्था की, जो पवनपुत्र हनुमान के चरणों में समर्पित होती है।

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