उज्जैन लैंड पूलिंग विवाद फिर भड़का: किसान संघ ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया, नया गजट नोटिफिकेशन वार्ता से उलट बताया

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन में लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर गर्मा गया है। सोमवार को सरकार और भारतीय किसान संघ के बीच हुई वार्ता के बाद ऐसा माना जा रहा था कि मुद्दा अब शांत हो जाएगा, क्योंकि बैठक में लैंड पूलिंग एक्ट वापस लेने की घोषणा की गई थी। इसी भरोसे के साथ मंगलवार को किसान संगठन ने उज्जैन में खुशी भी जताई।

लेकिन बुधवार को सरकार द्वारा जारी किए गए नए गजट नोटिफिकेशन ने हालात बदल दिए। किसान संघ ने इसे वार्ता में हुए वादे के विपरीत बताया है और सरकार पर वादाखिलाफी का गंभीर आरोप लगाया है।

किसान संघ ने कहा— सरकार ने वार्ता में जो लिखा था, नोटिफिकेशन उससे अलग है

भारतीय किसान संघ द्वारा जारी प्रेस नोट में प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने नए आदेश पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है।
उनका कहना है कि—

  • वार्ता में स्पष्ट रूप से तय हुआ था कि सिंहस्थ क्षेत्र में लैंड पूलिंग एक्ट पूरी तरह समाप्त किया जाएगा।

  • उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र की नगर विकास योजनाएँ— TDS-8, 9, 10 और 11 —का गजट नोटिफिकेशन रद्द होना चाहिए था।

  • सिंहस्थ पहले की पारंपरिक व्यवस्था के अनुसार आयोजित हो।

  • किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएँ।

  • और मेला क्षेत्र में कोई स्थायी निर्माण न हो

किसान संघ का आरोप है कि सरकार के नोटिफिकेशन में इन बातों का पालन स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है।

“नए आदेश में नियम उलझाने वाले” — किसान संघ का आरोप

कमल सिंह आंजना ने कहा कि सरकार से बातचीत लैंड पूलिंग की धारा खत्म करने को लेकर हुई थी। लेकिन नए आदेश में कुछ संशोधन ऐसे हैं, जो “उलझाने वाले” प्रतीत हो रहे हैं।

संगठन के अनुसार—

  • लैंड पूलिंग स्कीम 8, 9, 10, 11 को समाप्त कर

  • धारा 50(1) हटाई जानी थी

लेकिन नोटिफिकेशन में जिस तरह का संशोधन आया है, किसान संघ को वह “स्पष्ट निरस्तीकरण” नहीं लगता। उनका कहना है कि यदि सरकार ने वार्ता के अनुसार निर्णय नहीं लिया, तो संगठन फिर से आंदोलन की ओर लौटेगा।

TNCP की धारा 50 और 12(क) किसानों को स्वीकार नहीं

किसान संगठन ने कहा कि TNCP (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) की धारा 50 और 12(क) की मौजूदगी यह संकेत देती है कि सरकार लैंड पूलिंग को पूर्ण रूप से समाप्त करने के स्पष्ट निर्णय पर नहीं पहुँची है। यह स्थिति किसानों में असंतोष बढ़ा रही है।

सरकार का नया मॉडल — अधिग्रहण, मुआवजा और सीमित जमीन की जरूरत

नए आदेश के बाद सरकार अब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए जमीन को लैंड पूलिंग के बजाय भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत लेगी।

मुख्य प्रावधान—

  • आधी जमीन विकसित कर वापस लौटाने का मॉडल खत्म।

  • किसानों को मुआवजा दिया जाएगा, जिसकी निर्धारण प्रक्रिया सरकार तय करेगी।

  • कच्ची सड़क जैसी अस्थायी व्यवस्थाओं के लिए सीमित मुआवजा — सहमति के आधार पर।

  • सड़क, बिजली, नाली जैसे पक्के निर्माण के लिए स्थायी अधिग्रहण — और इसके लिए दो गुना मुआवजा

किसानों की जमीन का अधिकार वापस

लैंड पूलिंग लागू होने पर नगर विकास स्कीम 8, 9, 10 और 11 का नियंत्रण यूडीए (उज्जैन विकास प्राधिकरण) के पास था। संशोधन के बाद इन स्कीमों की जमीन का अधिकार फिर से किसानों को वापस मिल जाएगा।

अब सिर्फ 70 हेक्टेयर जमीन की जरूरत

सिंहस्थ क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए पहले 2344.11 हेक्टेयर जमीन प्रभावित थी।
नए फैसले के बाद—

  • अब सिर्फ 70 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता पड़ेगी

  • इसमें 23 हेक्टेयर सरकारी है

  • बाकी 45–50 हेक्टेयर निजी जमीन मुआवजा देकर ली जाएगी

  • सरकार का प्रयास अधिकतर पक्का इंफ्रास्ट्रक्चर सरकारी जमीन पर ही बनाने का है

कुल 50 किलोमीटर सड़क निर्माण का प्रस्ताव भी इसी योजना में शामिल है।

शाह से मुलाकात के बाद आदेश जारी

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद बुधवार को मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री की सहमति के साथ नगरीय प्रशासन विभाग के एसीएस संजय दुबे द्वारा संशोधन आदेश जारी किया गया।

सिंहस्थ के लिए नया अधिनियम भी आएगा; पक्के निर्माण पर आर्थिक दंड की तैयारी

सिंहस्थ 2028 की तैयारी में सरकार एक नए सिंहस्थ अधिनियम को भी अंतिम रूप देने में जुटी है। अभी मेला ‘मध्यभारत सिंहस्थ मेला एक्ट 1955’ के तहत आयोजित होता है।
नया अधिनियम आने के बाद—

  • मेला क्षेत्र में अतिक्रमण रोका जा सकेगा

  • पक्के निर्माण पर सख्त आर्थिक दंड लगाया जाएगा

  • दंड किस क्षेत्र में और कितना लगेगा — इसका निर्धारण जल्द किया जाएगा

सरकार का कहना है कि इससे मेला क्षेत्र को नियंत्रित और सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

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