उज्जैन सिंहस्थ 2028: लैंड पूलिंग पर मचा बवाल, किसानों ने जताई आपत्ति; शाह ने मांगी दोबारा रिपोर्ट!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

महाकाल की नगरी उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ को लेकर सरकार की तैयारियां तेज़ हैं, लेकिन लैंड पूलिंग स्कीम को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। किसानों ने अपनी जमीन के स्थायी अधिग्रहण का विरोध किया है और मामला अब दिल्ली तक पहुंच गया है। भारतीय किसान संघ की शिकायत के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष ने इस पर जानकारी ली और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से लेकर मुख्य सचिव अनुराग जैन तक को प्रजेंटेशन देने के लिए बुलाया।

अमित शाह ने उठाए सवाल, मांगी नई प्लानिंग

मंगलवार को दिल्ली में हुई बैठक में अमित शाह ने अधिकारियों से सिंहस्थ 2028 की पूरी प्लानिंग देखी। शाह ने कहा कि नासिक और हरिद्वार जैसे शहरों का अध्ययन करके तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने सवाल किया कि उज्जैन में स्थायी निर्माण क्यों किया जा रहा है? इस पर अधिकारियों ने हरिद्वार का उदाहरण दिया, लेकिन शाह ने 15 दिन में नई तैयारी करके फिर से रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

किसानों की मांग: अस्थायी व्यवस्था, स्थायी अधिग्रहण नहीं

भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक शिकायत दर्ज कराई है। किसानों का कहना है कि अब तक हर सिंहस्थ के लिए जमीन 2–3 महीने के लिए अधिग्रहित की जाती रही है। लेकिन इस बार स्थायी अधिग्रहण से उनकी जमीन छिन जाएगी। किसान संघ ने मांग की है कि—

  • स्थायी निर्माण की बजाय अस्थायी ढांचा तैयार किया जाए।

  • प्रयागराज महाकुंभ की तरह अस्थायी संरचनाएं बनाई जाएं।

  • अस्थायी उपयोग की गई भूमि का किसानों को उचित मुआवजा मिले।

  • क्षिप्रा नदी के किनारों पर मेले की जगह निर्धारित की जाए।

किसानों की चिंता: खेती योग्य जमीन पर संकट

किसानों का कहना है कि स्थायी निर्माण से उनकी उपजाऊ जमीन खेती के योग्य नहीं रहेगी। यदि सड़क, बिजली या पानी की व्यवस्था करनी है तो सीमित भूमि पर ही अस्थायी निर्माण किया जाए। वहीं आलोट से भाजपा विधायक चिंतामणि मालवीय ने विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा कि आज उज्जैन का किसान डरा और परेशान है। पहले जमीन कुछ महीनों के लिए ली जाती थी, लेकिन अब स्थायी अधिग्रहण के नोटिस भेजे जा रहे हैं।

यह है लैंड पूलिंग स्कीम

  • 50% भूमि किसान या भू-स्वामी के पास ही रहेगी।

  • 25% भूमि में रोड, स्टॉर्म वॉटर ड्रेन, सीवर, पानी की पाइपलाइन और अंडरग्राउंड बिजली लाइन डाली जाएगी।

  • 5% भूमि पर पार्क, झूले, स्लाइड्स, वॉकिंग पाथवे और ओपन जिम बनेगा।

  • 5% भूमि पर हॉस्पिटल, स्कूल, सब-स्टेशन जैसी सुविधाएं होंगी।

  • 15% भूमि सिंहस्थ और अन्य उपयोगों के लिए सरकार के पास रहेगी।

ऐसी होगी नई कुंभ नगरी

  • विकसित और सुसज्जित पार्क।

  • बच्चों के लिए झूले और स्लाइड्स।

  • आम जनता के लिए वॉकिंग पाथवे, ओपन जिम और लॉन।

  • पार्किंग, जनसुविधा केंद्र, अस्पताल, थाने और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट।

  • बिजली सब-स्टेशन, फुटपाथ और ड्रेनेज व्यवस्था।
    खास बात यह कि मेला खत्म होने के बाद अगले 12 साल तक इस जमीन का उपयोग डेवलपर्स और किसानों के लिए होगा।

सड़कें होंगी इंटरकनेक्टेड

  • 200, 150, 100, 80 और 60 फीट चौड़ी सड़कों का जाल बिछेगा।

  • प्रमुख मार्गों पर भव्य पौराणिक द्वार बनाए जाएंगे।

  • हर सर्वे नंबर के सामने कम से कम 60 फीट चौड़ी सड़क होगी।

  • सभी सड़कें आपस में इंटरकनेक्टेड होंगी ताकि मेला क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन आसान हो।

सिंहस्थ 2028 को लेकर उज्जैन में विकास कार्यों का खाका बड़ा और आधुनिक है, लेकिन किसानों की जमीन के स्थायी अधिग्रहण ने विवाद खड़ा कर दिया है। एक ओर सरकार उज्जैन को विश्वस्तरीय धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र बनाने की तैयारी में है, वहीं किसान अस्थायी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। अब सबकी नजर 15 दिन बाद होने वाली दिल्ली बैठक पर है, जहां नई रिपोर्ट के आधार पर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।

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