“सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय” के नाम से जाना जाएगा विक्रम विश्वविद्यालय, विकास की नई इमारतों से सजेगा कैंपस; मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने ही विश्वविद्यालय को दीं करोड़ों की सौगातें!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के क्षिप्रा विहार वाणिज्यिक परिसर में आयोजित एक भव्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विक्रम विश्वविद्यालय को नए युग की ओर अग्रसर करने वाली विकास परियोजनाओं की सौगात दी। इस भूमिपूजन और लोकार्पण कार्यक्रम के माध्यम से न केवल विश्वविद्यालय को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया, बल्कि उसकी ऐतिहासिक पहचान को भी पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर घोषणा की कि भविष्य में यह संस्थान “सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय” के नाम से जाना जाएगा, जो उसके गौरवशाली अतीत को नमन करने की दिशा में एक प्रतीकात्मक और दूरदर्शी कदम होगा।
इस ऐतिहासिक आयोजन में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम-उषा योजना के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण हेतु 100 करोड़ रुपये के अनुदान का उल्लेख किया। यह योजना जून 2023 में केंद्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई थी। इसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में सुलभता, समानता, जवाबदेही, सामर्थ्य और गुणवत्ता को मजबूती देना है।
डॉ. यादव ने अपने संबोधन में बताया कि इस योजना के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय को जो सौगातें दी जा रही हैं, वे न केवल ढांचागत विकास तक सीमित हैं, बल्कि नवाचार और शोध के नए द्वार भी खोलेंगी। उन्होंने जिन निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया, उनमें शामिल हैं:
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3.76 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला फोरेंसिक विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग का भवन
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8.80 करोड़ रुपये से बनने वाला 200 बालिकाओं के लिए छात्रावास भवन
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4.70 करोड़ रुपये से केंद्रीय उपकरण और कंप्यूटर प्रयोगशाला का निर्माण
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16.13 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली कौशल विकास प्रयोगशाला, फार्मेसी, कंप्यूटर विज्ञान फेसिंग, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और रिनोवेशन कार्य
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7.38 करोड़ रुपये से शारीरिक शिक्षा अध्ययनशाला
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और 8.44 करोड़ रुपये से बनने वाला विधि अध्ययनशाला का भवन
कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा कि यह विक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास में एक निर्णायक क्षण है, जब यह संस्थान अपने अतीत की गरिमा को वर्तमान की गुणवत्ता से जोड़ते हुए भविष्य की ओर अग्रसर हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन निर्माण कार्यों के चलते विश्वविद्यालय शैक्षणिक नवाचार का केंद्र बन जाएगा।
वहीं, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि भूमिपूजन के साथ ही सभी कार्यों की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है और जल्द ही यह निर्माण पूर्णता की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए इन उपहारों के लिए आभार प्रकट किया।
गौरतलब है कि विक्रम विश्वविद्यालय, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पूर्व अध्ययन संस्थान और राजनीतिक पृष्ठभूमि का आधार रहा है। जब डॉ. यादव प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री थे, तभी उन्होंने केंद्र सरकार के सामने विक्रम विश्वविद्यालय की ऐतिहासिकता और शैक्षणिक गुणवत्ता को लेकर सशक्त प्रस्तुति दी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि केंद्र सरकार ने विक्रम विश्वविद्यालय के लिए 100 करोड़ की योजना को स्वीकृति दी।
अब जब वे स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, तो उन्होंने उसी संस्थान को अपने हाथों से नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। समारोह में सभी अध्ययनशालाओं के छात्र-छात्राएं, विभागाध्यक्ष और शिक्षकगण उपस्थित रहे और उन्होंने मिलकर अपने प्रिय विश्वविद्यालय और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।