विक्रमोत्‍सव: उज्‍जैन में हो रहा है राष्‍ट्रीय युवा वैज्ञानिक सम्‍मेलन, मध्यप्रदेश में “इसरो”जैसा वैज्ञानिक एवं अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने और वैज्ञानिक हब बनाने की हुई घोषणा

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को नवाचार और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण से जोड़ने के उद्देश्य से विक्रमोत्सव के अंतर्गत तीन दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, विज्ञान उत्सव और 40वें मध्य प्रदेश युवा वैज्ञानिक सम्मेलन के तहत राष्ट्रीय “विज्ञान महाकुंभ 2025” के सत्रों में सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गांधीनगर द्वारा क्रिएटिव लर्निंग फॉर STEM एजुकेशन पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस दौरान विज्ञान, नवाचार, स्टार्टअप, रक्षा प्रौद्योगिकी, स्वदेशी विज्ञान, शोध एवं विकास, और डिजिटल युग में विज्ञान के प्रभाव जैसे विविध विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

तृतीय सत्र: आत्मनिर्भर भारत – नवाचार और स्टार्टअप की भूमिका

इस सत्र में पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मैकगिलिगन, निदेशिका, जिम्मी मैकगिलिगन सेंटर, इंदौर ने “विकसित भारत के लिए ग्रामीण और आदिवासी युवाओं का सस्टेनेबल प्रौद्योगिकियों के साथ सशक्तिकरण” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे सौर ऊर्जा, पर्यावरण अनुकूल तकनीकों और स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके ग्रामीण और आदिवासी युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

चतुर्थ सत्र: भारत का ज्ञान-विज्ञान और समग्र विकास

इस सत्र में डॉ. शिव कुमार शर्मा, राष्ट्रीय संगठन सचिव, विज्ञान भारती, नई दिल्ली ने “स्वदेशी विज्ञान आंदोलन एवं विज्ञान भारती” विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने भारत की प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा और स्वदेशी नवाचारों के महत्व पर प्रकाश डाला।

पंचम सत्र: रक्षा तकनीक और भारत की सुरक्षा प्रणाली

डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा, एमेरिटस वैज्ञानिक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने “नवीन रक्षा तंत्र प्रणाली और भारत” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत आत्मनिर्भर रक्षा प्रणालियों के निर्माण में अग्रसर हो रहा है और इसमें नवाचारों की क्या भूमिका है।

षष्ठम सत्र: अनुसंधान एवं विकास – नए अवसर और चुनौतियाँ

इस सत्र में पद्मश्री डॉ. जितेंद्र के बजाज ने “भारतीय देशज ज्ञान परंपरा – वैज्ञानिक दृष्टिकोण” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने भारत की परंपरागत वैज्ञानिक पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान में उनकी उपयोगिता को रेखांकित किया।

इसके अलावा डॉ. अरविंद रानाडे, निदेशक, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम और उद्यमिता को विज्ञान से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने विज्ञान प्रदर्शनियों के महत्व को बताते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोटेक्नोलॉजी में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला। डॉ. विवेकानंद पई, राष्ट्रीय महासचिव, विज्ञान भारती, कोच्चि, केरल ने आर्यभट्ट, भास्कराचार्य और चाणक्य जैसे प्राचीन वैज्ञानिकों की उपलब्धियों पर चर्चा की। उन्होंने भारत के फार्मास्युटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी और ऊर्जा क्षेत्र में हो रही उन्नति को विज्ञान की महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।

वहीं, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति प्रो. राकेश सिंघई ने विश्वविद्यालयों को नवाचार और शोध के केंद्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रिसर्च फंडिंग, प्रयोगशालाओं और उद्योगों के साथ कोलैबोरेशन बढ़ाने का सुझाव दिया और डिजिटल लर्निंग, वर्चुअल लैब और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को जरूरी बताया। डॉ. गोवर्धन दास, निदेशक, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, भोपाल ने वैज्ञानिक सोच को विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया और कृषि, अंतरिक्ष और तकनीकी नवाचारों को भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताया।

प्रो. मनीष जैन, प्रमुख, सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग, IIT गांधीनगर ने कहा कि विज्ञान को सिर्फ एक विषय के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों और आनंद से जोड़कर पढ़ाने की जरूरत है। डॉ. उमेश कुमार, निदेशक, नेहरू विज्ञान केंद्र, मुंबई ने बताया कि विज्ञान को उदाहरणों और अनुभवों के माध्यम से समझना अधिक प्रभावी होता है, बजाय इसे केवल याद करने के। डॉ. रामनाथ नाराथे ने सोशल मीडिया मार्केटिंग, ईमेल मार्केटिंग, इंफ्लुएंसर मार्केटिंग, SEO और एफिलिएट मार्केटिंग जैसे डिजिटल मार्केटिंग टूल्स की जानकारी दी और बताया कि कैसे इनका उपयोग विज्ञान और नवाचार को समाज तक पहुँचाने में किया जा सकता है। पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मैकगिलिगन ने ग्रामीण और आदिवासी युवाओं को सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी से सशक्त बनाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सोलर कुकर और अन्य पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों के माध्यम से महिलाएँ आत्मनिर्भर हो सकती हैं। डॉ. एन. पी. शुक्ला, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल ने स्टेम सेल टेक्नोलॉजी पर जानकारी दी और महाभारत में विज्ञान के प्रमाणों का उल्लेख करते हुए विज्ञान के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने की अपील की।

विज्ञान प्रदर्शनी और भारतीय संगीत परंपरा की झलक

सम्मेलन में विद्यार्थियों द्वारा विज्ञान पर आधारित वर्किंग और नॉन-वर्किंग मॉडल की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें मानव अंगों, भौतिक और रसायन विज्ञान से जुड़े मॉडलों का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा, औषधीय गुणों वाले पौधों और भारतीय शास्त्रीय संगीत वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिससे प्रतिभागियों को प्राकृतिक चिकित्सा और भारतीय संगीत परंपरा के महत्व की जानकारी मिली।

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