शिप्रा नदी में बहेंगी श्रद्धा की लहरें: सिंहस्थ से पहले बनेंगे 29 किमी लंबे घाट, बैराज और शुद्धिकरण परियोजना भी शुरू; CM डॉ. मोहन यादव ने किया 864 करोड़ रुपये की लागत वाले विकास कार्यों का भूमि पूजन!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन, अंगारेश्वर महादेव मंदिर परिसर में शनिवार को एक ऐतिहासिक और धर्ममय आयोजन हुआ, जहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आगामी सिंहस्थ महापर्व 2028 की भव्य तैयारियों के अंतर्गत 864 करोड़ रुपये की लागत वाले विकास कार्यों का भूमि पूजन किया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से 779 करोड़ रुपये की लागत से शिप्रा नदी पर बनने वाले 29 किलोमीटर लंबे घाटों और लगभग 85 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले 21 बैराजों का शिलान्यास किया गया।
बता दें, इस कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती और देवी अहिल्याबाई के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कन्या पूजन किया और उपस्थित संतों का शाल व श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। उन्होंने अंगारेश्वर महादेव मंदिर में पूजन अर्चन किया और माता शिप्रा का भी पूजन किया। इस अवसर पर भरतनाट्यम, कथक और डमरू नाद की प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में देवी अहिल्याबाई के जीवन पर केंद्रित शॉर्ट फिल्म और घाट निर्माण की योजनाओं पर आधारित वीडियो का प्रदर्शन भी हुआ। अंत में मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम को एक सच्ची धर्म सभा बताते हुए कहा कि संतों की गरिमामयी उपस्थिति में यह आयोजन अत्यंत पावन और ऐतिहासिक है। उन्होंने देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती का उल्लेख करते हुए उनके योगदान को याद किया और बताया कि किस प्रकार उन्होंने सनातन संस्कृति की रक्षा की और अपने संपूर्ण शासन को भगवान महादेव को समर्पित कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई का जीवन गंगा-सी पवित्र और नर्मदा-सी सरलता से भरा हुआ था।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि शिप्रा नदी में अब शुद्ध जल ही प्रवाहित होगा, इसके लिए गंभीर नदी के डैम के नीचे दूषित जल को भेजने और उसे फ़िल्टर करने की योजना बनाई गई है। साथ ही सिलारखेड़ी परियोजना के तहत वर्षा जल को संचित कर उसे शिप्रा में प्रवाहित किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु पूरे वर्ष शुद्ध जल से स्नान कर सकें। सिंहस्थ के दौरान 29 किलोमीटर लंबे घाटों पर 24 घंटे में लगभग 5 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि वाल्मीकि धाम से सिद्धनाथ, शनि मंदिर से गऊघाट और लालपुल से रामघाट तक नाव सेवाएं भी शुरू की जाएंगी। इसके अतिरिक्त उज्जैन को इंदौर से जोड़ने के लिए मेट्रो ट्रेन योजना पर काम शुरू होगा और एलिवेटेड सड़कों का भी निर्माण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि आने वाला सिंहस्थ अब तक का सबसे सफल और दिव्य कुंभ होगा।
कार्यक्रम में सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा कि पहले उज्जैन में सिंहस्थ से पहले ही विकास होता था, लेकिन अब मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में लगातार विकास कार्य हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1018 करोड़ की लागत से रतलाम-नागदा रेलवे लाइन को फोरलेन करने की स्वीकृति मिल गई है, जिससे उज्जैन की ओर आने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी और श्रद्धालुओं को अधिक सुगमता होगी।
जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि आज का दिन अत्यंत ऐतिहासिक और शुभ है। मध्यप्रदेश अब जलशक्ति प्रदेश के रूप में उभर रहा है। नदियों को जोड़ने की कई परियोजनाएं तेजी से चल रही हैं, जिससे सिंचाई का रकबा बढ़ेगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत श्री हरी गिरीजी महाराज ने मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि यह सिंहस्थ आयोजन सनातन संस्कृति के गौरव को पुनर्जीवित करेगा। घाटों के विस्तार की योजना संत समाज की पुरानी मांग रही है, जिसे सरकार ने मूर्त रूप दिया है।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद बाल योगी उमेशनाथ महाराज, महापौर मुकेश टटवाल, अखाड़ा परिषद के कई प्रमुख संत, जनप्रतिनिधि और हज़ारों श्रद्धालु उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ज्वलंत शर्मा ने किया और आभार प्रदर्शन संजय अग्रवाल ने किया।