उज्जैन में मोहर्रम जुलूस के दौरान गूंजा ‘या हुसैन’, 650 जवानों की सुरक्षा में हुआ शांतिपूर्ण आयोजन; करबला की शहादत को दी श्रद्धांजलि!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन में रविवार को इस्लामिक कैलेंडर के महत्वपूर्ण दिन ‘आशूरा’ के अवसर पर मोहर्रम का ऐतिहासिक और भावनात्मक जुलूस बड़े ही श्रद्धा और शांति के साथ निकाला गया। शहर के गीता कॉलोनी स्थित बड़े साब के इमामबाड़े से प्रारंभ हुआ यह जुलूस शहर की प्रमुख गलियों और बाजारों से गुजरते हुए कमरी मार्ग स्थित इमामबाड़े पर संपन्न हुआ। जुलूस के दौरान पूरे शहर में ‘या हुसैन’ की गूंज सुनाई दी और माहौल पूरी तरह से इमाम हुसैन की कुर्बानी को समर्पित रहा।
बता दें, मोहर्रम इस्लामी नववर्ष का पहला महीना होता है और इसकी 10वीं तारीख यानी ‘आशूरा’ को हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की करबला के मैदान में दी गई शहादत की याद में यह जुलूस निकाला जाता है। इमाम हुसैन ने अन्याय और ज़ुल्म के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस बलिदान की याद में निकलने वाले जुलूसों में ताजिए, अलम और मातमी जुलूस शामिल होते हैं, जिनमें लोग सीना पीटकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
बड़े साब के इमामबाड़े से प्रारंभ हुआ जुलूस निकास चौराहा, नई सड़क, फव्वारा चौक, दौलतगंज, तोपखाना, लोहे का पुल, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर और कमरी मार्ग होते हुए वापस इमामबाड़े पहुंचा। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर ताजिए रखे गए और लोगों ने इमाम हुसैन की शहादत को याद कर मातम किया।
जुलूस की सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त और हाई-टेक रही। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीतेश भार्गव के नेतृत्व में कुल 650 पुलिसकर्मियों को शनिवार रात 8 बजे से तैनात किया गया था। पुलिस ने पूरे रूट पर ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी और जुलूस के रूट पर संवेदनशील इलाकों में विशेष फोर्स की तैनाती की गई। 14 घंटे की लगातार ड्यूटी के बावजूद कहीं से भी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, जिससे पुलिस और प्रशासन की चुस्त व्यवस्था की सराहना की गई।
जुलूस में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए। आयोजन के दौरान कुछ प्रमुख मार्गों पर यातायात परिवर्तित किया गया था ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो। बड़ेसाब और नकाबसाब के ताजिए अलग-अलग मार्गों से होकर जुलूस के रूप में निकाले गए, जो परंपरा और आस्था का प्रतीक थे।