उज्जैन में मिलेगा बाघ-शेर-जिराफ देखने का मौका: 300 करोड़ की लागत से बनेगा मध्यप्रदेश का सबसे आधुनिक चिड़ियाघर-सह-सफारी, 25 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि हुई स्वीकृत; निर्माण में लगेगा करीब तीन साल का समय!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन को अब एक और बड़ी सौगात मिलने जा रही है। धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध उज्जैन अब वाइल्डलाइफ पर्यटन की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ेगा। यहां करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से 80 हेक्टेयर क्षेत्र में एक भव्य चिड़ियाघर-सह-सफारी पार्क विकसित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को मध्यप्रदेश वन विभाग के नेतृत्व में तैयार किया जा रहा है, जिसमें शेर, बाघ, सफेद बाघ, तेंदुआ, जेब्रा, जिराफ़ और कई अन्य पशु-पक्षियों को शामिल किया जाएगा।
इस चिड़ियाघर के निर्माण में करीब तीन साल का समय लगेगा। वर्तमान में इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि स्वीकृत की जा चुकी है। अधिकारियों के अनुसार यह प्रदेश का पांचवां चिड़ियाघर होगा, और इसे भोपाल के प्रसिद्ध वन विहार की तर्ज पर डिज़ाइन किया जाएगा। यहाँ जानवरों को पिंजरे में कैद रखने के बजाय प्राकृतिक खुले वातावरण में रखने की व्यवस्था की जाएगी ताकि उन्हें अधिक स्वतंत्रता और पर्यावरणीय अनुकूलता मिल सके।
इस चिड़ियाघर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में 47 बड़े बाड़ों का निर्माण शामिल है, जिनमें बाघ, सफेद बाघ, तेंदुआ और शेर जैसे बड़े मांसाहारी जानवर रहेंगे। इसके अलावा इसमें छोटे मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षियों, प्राइमेट्स, सरीसृपों के लिए अलग-अलग सेक्शन, एक तितली गुंबद, मछलीघर, बचाव केंद्र, संगरोध केंद्र, और पशु चिकित्सालय की भी योजना है।
प्रस्ताव में तीन प्रमुख सफ़ारी ट्रैक का भी प्रावधान है — एक बाघों और शेरों के लिए, दूसरी सफेद बाघों के लिए और तीसरी शाकाहारी जानवरों के लिए। इन सफ़ारी रूट्स पर खुली जीप में बैठकर पर्यटक जानवरों को खुले वातावरण में देख सकेंगे, जो एक रोमांचक अनुभव होगा। इससे न केवल पर्यटन को बल मिलेगा, बल्कि उज्जैन की आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञ इस प्रोजेक्ट के तकनीकी पहलुओं — जैसे जल प्रवाह, भूगोल, और वन्यजीव अनुकूलता — का गहन अध्ययन कर रहे हैं। इस बीच, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुभरंजन सेन ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) से मंजूरी की प्रतीक्षा है, जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
इस चिड़ियाघर के ज़ेबरा और जिराफ़ सेक्शन को विशेष रूप से आकर्षक बनाने की योजना है। इसके लिए भोपाल के वन विहार ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें पश्चिम एशिया और यूरोप से पाँच ज़ेबरा और दो जिराफ़ लाने की बात कही गई है। नियमों के अनुसार, ये जानवर उपहार या प्रजाति विनिमय योजना (जैसे सुस्त भालू या तेंदुआ के बदले) के अंतर्गत मंगवाए जाएंगे, क्योंकि भारत में जानवरों की बिक्री प्रतिबंधित है।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह चिड़ियाघर सिर्फ एक पर्यटन केंद्र नहीं बल्कि एक बचाव केंद्र के रूप में भी काम करेगा, जहाँ मध्यप्रदेश भर से बीमार, घायल या बेघर जंगली जानवरों को इलाज के लिए लाया जाएगा।