ट्रेंचिंग ग्राउंड… एक और जान गई, अब आंदोलन की तैयारी

विकराल समस्या: हवा के रूख से डरने लगे ग्रामीण

गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड की जहरीली हवा और धुएं ने शुक्रवार को एक ओर जान ले ली। जानकारी के बाद भी प्रशासन कार्रवाई का भरोसा दिला रहा है लेकिन अब 14 गांव में दहशत के साथ गुस्से का माहौल बनता जा रहा है, जो जल्द ही बड़े आंदोलन के रूप में सामने आ सकता है।

सर्वविदित है शहर से 15 किमी दूर स्थित ग्राम गोंदिया में मांगीलाल पिता गणपत गोस्वामी (70) की शुक्रवार को इंदौर के गोकुलदास अस्पताल में मौत हो गई। उनके पड़ोसी जनपद सदस्य महेंद्रसिंह देथलिया ने बताया गोस्वामी को स्वाइन फ्लू होने पर पांच दिन पहले भर्ती कराना पड़ा था।

देथलिया और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गोस्वामी पूरी तरह स्वस्थ रहते थे, लेकिन ट्रेंचिंग ग्राउंड की जहरीली हवा ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। याद रहे अक्षर विश्व ने शुक्रवार को ही तथ्य परख रिपोर्ट प्रकाशित कर बताया था ट्रेंचिंग ग्राउंड से 20 किमी के दायरे में आने वाले 14 गांव के लोग किस तरह पिछले चार साल में जहरीली हवा और यहां लगी आग के धुएंं से घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। अब तक करीब ७० लोगों की मौत हो चुकी है।

आतंक बना हवा का रूख

ग्रामीणों ने बताया ट्रेंचिंग ग्राउंड में जल रहे कचरे से पश्चिम से पूर्व की हवा चलने पर ब्रजराजखेड़ी, गंगेड़ी, राघौपिपलिया, छायन, करोहन, कोकलाखेड़ी की ओर धुएं के साथ बदबू आती है। पूर्व से पश्चिम में हवा चलती है तो हासामपुरा, गोंदिया, लेकोड़ा, रानाबाड़ा, लिंबा पिपलिया, टंकारिया, चिंतामण, जवासिया, चांदमूख व पालखेड़ी के लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है।

कलेक्टर ने लिया संज्ञान

गांव में हो रही मौतों को लेकर मीडियाकर्मियों ने कलेक्टर शशांक मिश्र से चर्चा की। मिश्र ने बताया मामला उनकी जानकारी में आया है और वे जल्द ही इसे लेकर नगर निगम कमिश्नर से चर्चा करेंगे।

अब तक यह हुआ

  •  ट्रेंचिंग ग्राउंड मंजूर होते ही राष्ट्रपति तक को पत्र लिखा।
  •  बीमारियां बढऩे के बाद ग्रामीणों ने चक्काजाम किया, जेल गए।
  •  70 लोगों के अलावा सैकड़ों गाय, भैंस व मोर मर गए।
  •  बारिश में कचरे से रिसाव के कारण क्षेत्र का पेयजल दूषित।
  •  बदबू के कारण हासामपुरा तीर्थ स्थल पर श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई।
  •  ग्रामीणों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

विरोध की तैयारी

देथलिया ने बताया कि अब तक शासन-प्रशासन को कई बार शिकायतें की लेकिन किसी ने नहीं सुनी। सोमवार को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर गुहार लगाएंगे। बावजूद जल्द ही निराकरण नहीं निकलता है तो विरोध ही एक रास्ता बचा है।

धुएं से प्रभावित सभी गांवों के लोगों से चर्चा कर रहे हैं, जल्दी ही आंदोलन करेंगे। उन्होंने निगम आयुक्त के खेतों में पराली जलाने से कचरे में आग लगने पर सवाल किया कि ठंड में कौन पराली जलाता है।

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