आटा, तेल, दाल, पोहा में मांग ज्यादा होने से 60 फीसदी तक पहुंचा उत्पादन, बाहर गए कुशल मजदूर नहीं लौटे

आटा, तेल, दाल, पोहा और दवाई मिलों में 60 फीसदी तक उत्पादन होने लगा है। शहर के तीन औद्योगिक क्षेत्रों मक्सी रोड, देवास रोड और आगर रोड में इन इकाइयों में अनलॉक के डेढ़ महीने बाद भी पूरी क्षमता से काम शुरू नहीं हो पाया। इसकी सबसे बड़ी वजह बाहर गए कुशल मजदूरों का नहीं लौटना माना जा रहा है।

तीनों औद्योगिक क्षेत्रों में घूमकर वहां के हालात जाने और उद्योगपतियों से चर्चा भी की। उद्योगपति अतीत अग्रवाल के अनुसार हालात में सुधार आया है लेकिन कुशल मजदूर नहीं मिल रहे। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट की परेशानी आ रही है। पहले इंदौर से मुंबई के बीच ट्रांसपोर्ट होने से बीच के शहरों तक माल पहुंचाना और कच्चा माल लाना आसान भी था और उसके लिए खर्च भी कम होता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।

 

 

औद्योगिक क्षेत्र    संख्या    चालू
मक्सी रोड               450    300
देवास रोड                350    275
आगर रोड               300    200

 

देवास रोड : फार्मा इकाई में अभी एक शिफ्ट में हो रहा है काम

नागझिरी से सटा देवास रोड औद्योगिक क्षेत्र में फार्मा इकाई में लाॅकडाउन के पहले दो शिफ्ट में काम होता था जो सिमट कर एक हो गई है। हम्माल के अलावा पुराने लोग काम करते दिखाई दिए। दवाई फैक्ट्री के बाहर प्रवेश निषेध का बोर्ड लगा था। यहां पास में ही एक कमरा था, जिससे आने-जाने वाले पर नगर रखी जा रही थी। उद्योगपतियों ने कहा-लॉकडाउन के बाद सैनिटाइजर और कुछ दवाइयों का उत्पादन बढ़ा था लेकिन अब हालात सामान्य हो गए हैं।

 

आगर रोड : पावरलूम शुरू, बंद दरवाजे में बना रहे दोना-पत्तल

यह शहर का सबसे छोटा औद्योगिक क्षेत्र है। इसे पावरलूम इकाइयों के लिए जाना जाता है। यहां 24 घंटे उत्पादन शुरू तो हो गया है लेकिन क्षमता अब तक 60 फीसदी से ऊपर नहीं पहुंच रही। यहां फार्मा इकाई में सैनिटाइजेशन, दवाई, बोरीक पाउडर, साबुन बनाए जा रहे हैं। साथ ही लंबे समय से बंद पड़ी दोना-पत्तल इकाई में काम तेज हो गया है। उद्योगपतियों का कहना है कि मांग नहीं के बराबर है। बड़े आयोजनों पर रोक से केवल खेरची खरीदी हो रही है।

 

मक्सी रोड : बड़े शहरों पर निर्भरता इसलिए क्षमता से नहीं कर रहे काम

यह शहर का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहां दवाई, आटा मिल, पैकेजिंग के अलावा कैन के ढक्कन के कारखाने भी हैं। उद्योगों पर लादी बंदिशों के बीच पुरानी लैबर में से 40 फीसदी को काम पर बुलाया लेकिन कुशल मजदूर जो बाहर चले गए थे वे नहीं लौटे। उद्योग चालू तो गए हैं लेकिन पूरी क्षमता से नहीं। उद्योगपतियाें का कहना है कि कच्चे माल की मुंबई, अहमदाबाद पर निर्भरता ज्यादा है। ऐसे में उत्पादन प्रभावित हो रहा है।

 

मैकेनिक भी नहीं मिल रहे

पीथमपुर से आने वाले कच्चे माल के लिए लंबा इतजार। एल एंड की जैसे नट बोल्ट टूटने पर भी पीथमपुर या इंदाैर जाना पड़ रहा। मशीनाें की छोटी-बड़ी खराबी के लिए मैकेनिक भी नहीं मिल रहे। आसानी से ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था भी नहीं हो रही।  हर उद्याेगपति के पास लैबर को ठहराने की व्यवस्था नहीं है।  कुशल मजदूर नहीं होने से नए लोगों को ट्रेनिंग देना पड़ रही।

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