ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने लगी:अस्पताल बोले- अपने मरीज के लिए ऑक्सीजन खुद लाओ

कोरोना के गंभीर रोगियों के बढ़ने के साथ ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ने लगी है। 14 अप्रैल तक शहर में 10 से 11 टन तक ऑक्सीजन की जरूरत थी जो 21 अप्रैल को बढ़कर 21 टन हो गई। यानी डिमांड लगभग दोगुना बढ़ गई। इधर शहर के कुछ निजी अस्पताल वाले मरीज के परिजनों को ही ऑक्सीजन की व्यवस्था करने का बोल रहे हैं। ऐसे में परिजनों की परेशानी और बढ़ गई, क्योंकि खाली सिलेंडर के डिपॉजिट के रूप में 5 हजार रुपए देना पड़ रहे हैं।

अधिकारियों को इस 21 टन डिमांड के एवज में बुधवार दोपहर तक 17.7 टन ऑक्सीजन प्राप्त हो गई थी। बाकी दो स्थानों से गाड़ियां आना बाकी थी। यानी जरूरत अनुसार आपूर्ति की पूरी संभावना बनी हुई थी। प्रशासनिक स्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति की जिम्मेदारी देख रहे डीआईसी के जीएम एसआर सोनी ने बताया कि दोपहर तक जो 17.7 टन ऑक्सीजन प्राप्त हुई थी उसे राघौपिपल्या-गंगेड़ी के रिफिलिंग प्लांट से सिलेंडरों में ट्रांसफर कर जरूरत के हिसाब से अस्पतालों तक पहुंचाया जा रहा था। सोनी ने कहा कि भले ही ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ रही हो लेकिन उतनी आपूर्ति करने में भी प्रशासन सफल हो रहा है।

इसलिए बढ़ रही हैं डिमांड

  • कोरोना और गैर कोराेना के ऐसे गंभीर रोगी ज्यादा मिल रहे हैं जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत हो।
  • अस्पतालों के अलावा घरों में यानी होम आइसोलेशन में भी रोगियों को ऑक्सीजन लग रही है।
  • शहर के अलावा संक्रमण गांवों में फैलने लगा है। लिहाजा वहां के लिए भी ऑक्सीजन की जरूरत लग रही है।
  • रोगियों के बढ़ने व डिमांड बढ़ने के साथ ही बैकअप भी बढ़ाकर रखना पड़ रहा है।
  • गंभीर रोगियों के परिजनों में असुरक्षा का भाव भी रहने लगा है इसलिए वे भी स्टॉक में ऑक्सीजन रखने लगे हैं।

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