- भस्मआरती में बाबा महाकाल का मावे से किया श्रृंगार, मखाने की माला पहनाई, खोली गई तीसरी आंख
- चंद्र और बिलपत्र लगाकर भस्म आरती में सजे बाबा महाकाल, जटाधारी स्वरूप में किया श्रृंगार
- भोपाल सांसद ने बैरसिया में स्टेशन बनाने की सदन में उठाई मांग, बोले- चुनाव से पहले किया था वादा
- बाबा महाकाल की सवारी की शोभा बढ़ाएगा 350 जवानों का पुलिस बैंड, 1000 कलाकार डमरू से देंगे प्रस्तुति
- राष्ट्रीय कालिदास चित्र और मूर्तिकला प्रतियोगिता-2021 के पुरस्कार घोषित, इन्हें दिया जाएगा
कपूर आरती के बाद महाकाल का दिव्य शृंगार, चांदी मुकुट-रुद्राक्ष व पुष्पों की माला चढ़ाई
![](https://ujjainlive.com/wp-content/uploads/2024/03/bb-mahakal-ka-magalvara-bhasama.jpg)
सार
विस्तार
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंगलवार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की दशमी पर मंगलवार तड़के भस्म आरती की गई। तड़के चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे-पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। तत्पश्चात भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर फलों के रस से बने पंचामृत से कर पूजन अर्चन किया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को चांदी का मुकुट और रुद्राक्ष व पुष्पों की माला धारण करवाई गई।
मंगलवार के शृंगार की विशेष बात यह रही कि आज दशमी की भस्मआरती में बाबा महाकाल का त्रिपुंड और चन्द्र धारण करवाकर शृंगार किया गया और मिष्ठान्न का भोग लगाया गया। शृंगार के बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई। भस्म आरती में बड़ी संख्या मे श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने बाबा महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।
960 किलो चावल दान दिया
श्री महाकालेश्वर भगवान के दर्शन के लिए हिमाचल से आए मनमोहन गर्ग ने पुजारी यश शर्मा की प्रेरणा से श्री महाकालेश्वर मंदिर द्वारा संचालित निःशुल्क अन्नक्षेत्र में 960 किलो चावल दान में दिया। दानदाता का विधिवत रसीद प्रदान कर उनका सम्मान किया गया। भक्त श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित निःशुल्क अन्नक्षेत्र, गौशाला आदि में भी अपनी श्रद्धानुसार दान करते हैं।