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गंभीर के पानी को लेकर मंथन, पिछले साल से 195 एमसीएफटी कम
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उज्जैन | गांव में पानी साफ मिलता है, हां साहब अब मिलता है लेकिन उतना नहीं मिलता जितनी जरूरत रहती है। पानी के लिए कुछ काम हुए या नहीं, हुए अब दूर-दराज नहीं जाना पड़ रहा। अब और क्या चाहते हैं, साहब एक बड़ी टंकी बनवा दो तो दिक्कत दूर हो जाए। कुछ ऐसा ही संवाद हुआ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल व ग्रामीणों के बीच। वे बुधवार को पीएचई अमले के साथ गांवों में घूमे और पेयजल बंदोबस्त की नब्ज टटोली। गंभीर डैम में कम पानी पर चिंता जताई तो अधिकारी बोले कि वैकल्पिक इंतजामों के लिए प्रस्ताव भेज चुके हैं।
पीएस प्रमोद अग्रवाल दोपहर १२.३० बजे शहर पहुुंचे। यहां से बडऩगर के असलावदा गांव गए। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यहां २४ घंटे जलप्रदाय सेवा शुरू कि गई थी। तीन माह ये चलीं अब बंद है। पीएस ने कहा कि इसे आगे भी सुचारु कर सकते हैं क्या…ï? वहीं खड़ौतिया गांव में सोलर पंप स्कीम अंतर्गत जलप्रदाय व्यवस्था पर काम हुआ। पीएस ने इसकी भी जानकारी ली। निरीक्षण दौरान पीएचई अधीक्षण यंत्री दीपक रत्नावत, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण सुनील उदिया, एई घनश्याम उपाध्यायशामिल रहे।
गर्मी में भी एक दिन छोड़कर पानी
गंभीर डैम के कम क्षमता से भरे जाने के कारण आगे गर्मी के सीजन में भी एक दिन छोड़कर जलप्रदाय होगा। अधिकारियों ने पीएस को बताया इस मान से मानसून के पहले तक जलप्रदाय होगा कुछ दिन दिक्कत आई तो अमलावदाबिका या शहर के हाईड्रेंट से पानी मिलेगा, वहीं नर्मदा जल शिप्रा मंे छोडऩे का भी प्रस्ताव दिया है। इन इंतजामों पर १२ करोड़ के खर्च का अनुमान है।
बीते साल से १९५ एमसीएफटी कम
साल २०१७ मंे आज की स्थिति में गंभीर डैम मंे ११२९ एमसीएफटी पानी संग्रहित था, लेकिन मौजूदा संग्रहण महज ९३४ एमसीएफटी है। इसी पानी से पूरे सीजन शहर की प्यास बुझाई जाना है। पीएचई ईई धर्मेंद्र वर्मा ने पीएस को डैम का पानी रोकने जारी पंप जब्ती कार्रवाई से भी अवगत कराया। कहां अब तक ५५ मोटर पकड़ चुके हैं।