तकनीकी खामी ने ली जान:फोरलेन स्वीकृत था, बना सिंगल लेन; ऐसे में ओवरटेक किया तो हादसा तय

  • जीरो पाइंट पर हादसा, सांची पार्लर संचालक को ट्रॉले ने कुचला, मौत
  • सेठीनगर के समीप अग्रसेन नगर निवासी कमल पिता कैदार सिकरवार 40 साल की एक्सीडेंट में मौत हुई

फ्रीगंज घासमंडी मार्ग स्थित जीरो पाइंट ब्रिज पर रविवार रात को बाइक से घर लौट रहे सांची पार्लर संचालक को ट्राॅले ने कुचल दिया। युवक की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद पुलिस ने ट्राॅला जब्त करते हुए ड्राइवर को भी गिरफ्तार कर लिया लेकिन बड़ा सवाल यह है कि शहर के अंदर भारी वाहन ओवर स्पीड में कैसे दौड़ रहे है जबकि शहरी सीमा में उन्हें तय स्पीड में चालीस से अधिक गति से गाड़ी नहीं दौड़ाना है।

सेठीनगर के समीप अग्रसेन नगर निवासी कमल पिता कैदार सिकरवार 40 साल की एक्सीडेंट में मौत हुई है। वह माधवनगर अस्पताल के बाहर सांची पार्लर संचालित करते थे व रात को साढ़ू भाई रवि को आगर नाका छोड़कर वापस घर लौट रहे थे। इसी दौरान रात 11.30 बजे राजस्थान पासिंग सीमेंट से भरे ट्राॅले ने जीरो पाइंट ब्रिज पर सिकरवार को चपेट में ले लिया। बताते है कि ट्राॅला जीरो पाइंट ब्रिज से फ्रीगंज की तरफ जा रहा था और सिकरवार ने जैसे ही एक दो पहिया वाहन से आगे निकलने का प्रयास किया ट्राॅले में पीछे के पहिए में दब गए। माधवनगर थाना एसआई सलमान कुरैशी ने बताया सीमेंट से भरा ट्राॅला था जो यहां माल सप्लाय के लिए आया हुआ था। ड्राइवर सत्यनारायण निवासी अजमेर को गिरफ्तार कर लिया है।

यह डेढ़ लेन ब्रिज…. सबसे बड़ी खामी ही संकरा होना, एक रैलिंग भी हटे तो सुधरें हालात

जीरो पाइंट ब्रिज सिंहस्थ 2016 के दौरान तैयार हुआ था। राज्य सरकार ने सेतु विकास निगम को फोरलेन ब्रिज बनाने की स्वीकृति दी थी लेकिन समय अभाव के नाम पर अफसरों ने सिंगल लेन ब्रिज बना दिया। इसमें भी कई तकनीकी खामियां है। इसी कारण हादसे हो रहे है। जीरो पाइंट ब्रिज पर अगर एक बड़ी गाड़ी निकल रही हो तो फिर उससे आगे निकल पाना मुश्किल है क्योंकि ब्रिज की चौड़ाई इतनी नहीं है कि दो बड़े वाहन एक साथ निकल सके। इसी कारण पूर्व में भी कई बार ब्रिज पर बड़ी गाड़ी वाले रांग साइड तक घुसकर गाड़ी चलाते है जिससे आए दिन हादसे होते है। रविवार रात को सांची पार्लर संचालक की जान भी इसी संकरे ब्रिज पर भारी वाहन से आगे निकलने में चली गई।

तकनीकी खामी के बावजूद ऐसी अनदेखी

ब्रिज उतार के दोनों कट पाइंट पर ब्रिज से दो मीटर लंबे डिवाइडर बनाने थे, ये नहीं कर पाए तो अस्थायी तौर पर स्टापर रखना चाहिए ताकि एक्सीडेंट का खतरा कम हो। अभी हो ये रहा कि ब्रिज से उतरने वाहन चालक के सामने अचानक से उतार पर गाड़ी वाले आ जाते हैं, ऐसे में भिड़ंत ही होती है।
स्मार्ट सिटी वाले हीरा मिल रोड का तिराहा भी ऐसा ही है। यहां कोयला फाटक की तरफ से आने-जाने वाले वाहनों की गति हादसे का कारण बन रही है क्योंकि यहां गतिरोधक ब्रेकर बनाने की जरूरत थी।

दोनों उतार पर कट पाइंट, वाहन आपस में भिड़ रहे

ब्रिज के दोनों तरफ उतार पर जो कट पाइंट है वे इतने खतरनाक है कि आए दिन वाहन चालक भिड़ रहे हैं। ब्रिज से उतरने वाले वाहन चालक स्पीड में होते है ऐसे में ब्रिज खत्म होते ही दोनों साइड की गलियों से गाड़ी वाले निकलते हैं, जिससे गाड़ियां टकराती है। जीरो पाइंट ब्रिज से कोयला फाटक जाने वाले स्मार्ट रोड का तिराहा भी खतरनाक है। यहां गति नियंत्रण नहीं होने से बेतरतीब वाहन वाले भिड़ रहे हैं। इसके आगे स्मार्ट रोड ढांचा भवन से गली में तब्दील हो गया। ऐसी कई तकनीकी खामियां है जिस पर ध्यान नहीं दिया गया न अब सुधार कि दिशा में कोई कदम उठाया जा रहा है।

ब्रिज सेतू ने बनाया, स्मार्ट रोड सही

ब्रिज सेतू विकास निगम ने बनाया था। इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। स्मार्ट रोड स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बना है। फिर भी काेई दिक्कत होगी तो पता कर सुधार करेंगे।
आशीष पाठक, सीईओ स्मार्ट सिटी, उज्जैन

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