नौतपा के 6 दिन बीतने के बाद भी NO तपा:हर 100 साल में नौतपा की तारीख बदल रही

शुक्रवार और शनिवार को मौसम में आए बदलाव का असर रविवार को भी दिखाई दिया। सुबह की तुलना में शाम को दोगुनी रफ्तार से हवा चली। चौबीस घंटे में रात के तापमान में 3.5 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है।

शासकीय जीवाजी वेधशाला के अनुसार रविवार को अधिकतम तापमान 39.5 और न्यूनतम तापमान 25.5 डिग्री दर्ज किया गया। आर्द्रता सुबह 64 और शाम को 25 फीसदी रही। हवा की रफ्तार सुबह 4 और शाम को 8 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। शाम को बादलों की आवाजाही जारी रही। मौसम विभाग भोपाल के राडार प्रभारी वेदप्रकाश के अनुसार दक्षिण-पूर्वी उत्तरप्रदेश के ऊपर अवस्थित चक्रवातीय परिसंचरण से पूर्वी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ और विदर्भ तक एक ट्रफ लाइन रही है।

पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पाकिस्तान के आसपास मध्य व ऊपरी क्षोभमंडल की पछुआ पवन के बीच एक ट्रफ के रूप में सक्रिय है, जो 70 डिग्री पूर्व देशांतर के सहारे 28 डिग्री उत्तर अक्षांश के उत्तर में समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर धुरी बनाते हुए गुजर रही है। साथ ही पंजाब के ऊपर सक्रिय चक्रवातीय परिसंचरण से लेकर पश्चिमोत्तर राजस्थान तक एक ट्रफ लाइन गुजर रही है। मानसून का अनुमान : मौसम विज्ञानियों के अनुसार 3 जून तक मानसून केरल तक आगमन की संभावना है। इसके दो सप्ताह बाद शहर और आसपास के क्षेत्रों में मानसूनी गतिविधियां शुरू हाे जाएंगी। नौतपा (रोहिणी) 25 मई से 2 जून तक है। इस दौरान मानसून गतिविधियां शुरू होने से एक तरफ जहां तपन कमजोर हुई है वहीं आंधी-बारिश भी हो रही है, जिसे रोहिणी गलना भी कहा जा रहा है। रोहिणी में बारिश को अच्छा नहीं माना जाता।

मान्यता है इससे बारिश प्रभावित होती है। इस बार भी रोहिणी यानी नौतपा में आंधी-बारिश, बादलों की आवाजाही के कारण तपन कम है। नौतपा में आ रहे इस बदलाव का कारण विशेषज्ञ खगोलीय घटना बता रहे हैं। उनका मानना है कि यह बदलाव केवल नौतपा में ही नहीं अन्य स्तर पर भी देखे जा सकते हैं। इस बार तूफान और बादलों ने नौतपा में बाधा बनकर न लू चलने दी और न तपन का रिकॉर्ड बढ़ाया। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने मॉडल की मदद से नौतपा का खगोल विज्ञान बताया। वे कहती हैं हर साल 25 मई से 2 जून तक की अवधि में घटित होने वाली नौतपा की खगोलीय घटना में जब बादल आ जाते हैं तो तपन कम हो जाती है।

घारू ने बताया कि जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए 365 दिन बाद पृथ्वी उस स्थिति में आ जाती है जबकि सूर्य के पीछे वृषभ तारामंडल का स्टार रोहिणी आ जाता है तो इसके पहले नौ दिन नौतपा कहलाते हैं। वर्तमान में हर साल 25 मई को सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आ जाता है।

सूर्य के पीछे रोहिणी तारा आने की यह घटना सन 1000 में 11 मई को हुआ करती थी। सन 1200 को 13 मई और सन 1400 में यह घटना 17 मई को आरंभ होती थी। संभवतः एक हजार साल पहले इस अवधि में भारत के मध्यभाग में तीव्र गर्मी होने से इसे नौतपा के रूप में नामकरण किया गया होगा।

इसलिए घट रही है रोहिणी की तपन
पृथ्वी के अक्ष के 26000 सालों में घूमने प्रसेशन की घटना के कारण यह लगभग हर 100 साल में रोहिणी के सामने आने की यह दिनांक आगे बढ़ती जा रही है। वर्तमान समय में यह घटना अब हर साल 25 मई को होने लगी है।

1 जून को केरल में मानसून पहुंचने के पहले मध्यभारत में भी मौसम में बदलाव आने लगता है। हवाएं चलने लगते हैं, कई बार तूफान भी आ जाते हैं इसलिए नौतपा में बादलों के छा जाने से अब इसकी तपन कम होने लगी है। इसलिए आने वाले सालों में भी नवतपा कम ही तपेगा।

क्योंकि रोहिणी के सीध में आने की घटना स्वतंत्रता प्राप्ति के 300 साल पूरे होने पर 2247 में 29 मई को आरंभ हुआ करेगा। समय के साथ यह जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भी शुरू हुआ करेगा। तब संभवत इसका नाम नौतपा से बदलकर नववर्षा हो सकता है।

संक्रांति की तारीख भी बदली
उज्जैन स्थित जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ आरपी गुप्त कहते हैं कि ऐसा बदलाव मकर संक्रांति की तारीख में भी देखा जा सकता है। कभी 14 जनवरी मकर संक्रांति की तय तारीख थी, अब वह 15 जनवरी को मनाई जाने लगी है।

यह बदलाव पृथ्वी के अयनांश में 4 मिनट का अंतर आने के कारण आता है। पृथ्वी किसी नक्षत्र में चक्कर लगाती है तो 4 मिनट पीछे हो जाती है। इस कारण बहुत सूक्ष्म तरीके से इस अंतर को नापा जाता है। डॉ गुप्त का कहना है कि इतनी लंबी गणनाएं सामान्य नहीं है। इसमें गणना की विधियों के कारण भी नतीजों में अंतर दिखाई देता है।

रोहिणी नक्षत्र में सूर्य

नौतपा को लेकर ज्योतिष मान्यता है कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आते हैं तो मौसम में तपन बढ़ जाती है। हालांकि रोहिणी चंद्रमा का नक्षत्र है। सूर्य के आने से गर्मी बढ़ जाने के कारण इस अवधि को सामान्य बोलचाल में नौतपा कहा जाता है।

Leave a Comment