पुरातत्व उत्खनन:महाकाल, वैश्य टेकरी और गढ़कालिका क्षेत्र में शुरू होगी खुदाई, केंद्र को प्रस्ताव भेजेगा राज्य शासन

शहर में पुरातत्व उत्खनन के लिए राज्य शासन की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस प्रस्ताव में गढ़कालिका, वैश्य टेकरी के साथ महाकाल क्षेत्र को भी जोड़ेंगे। इस संबंध में मौखिक चर्चा कर ली गई है। प्रस्ताव पहुंचने के बाद उत्खनन शुरू करने के लिए अन्य प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इधर महाकालेश्वर मंदिर परिसर में चल रही खुदाई के लिए पुरातत्व विशेषज्ञों की कमेटी बना दी गई है। कमेटी की निगरानी में खुदाई का काम होगा।

शहर में 1962 के बाद पुरातत्व उत्खनन नहीं हुआ है। हजारों साल पुरानी संस्कृति-सभ्यता के पुरावशेष जमीन के भीतर ही है। 1937-38 में पहला उत्खनन हुआ था आखिरी 1962 में। इस दौरान पाई गई पुरातत्व सामग्री से कानीपुरा में बौद्ध स्तूप और गढ़कालिका में प्राचीन बसाहट के अवशेष मिले थे। चौबीस खंभा पर भी उत्खनन हुआ था। इससे 2600 साल पुराने जीवन के चिह्न प्राप्त हुए थे। पुराविदों का कहना है कि पद्मश्री स्व. डॉ विश्री वाकणकर और विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविदों द्वारा शहर और जिले में किए गए पुरातत्व सर्वों में 3 हजार से 4 हजार साल पुरानी सभ्यता के पुरावशेष संग्रहित हो चुके हैं।

 

राज्य शासन महाकाल, वैश्य टेकरी और गढ़कालिका

मत्स्येंद्रनाथ समाधि क्षेत्र में शिप्रा में लकड़ी की दीवारें और बंदरगाह के अवशेष पाए जा चुके हैं। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में विकास कार्य के लिए चल रही खुदाई के दौरान एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेष मिलने के बाद प्रशासन ने पुरातत्व विद् की सलाह पर खुदाई का काम रोक दिया। लेकिन इस घटना से शहर में पुरातत्व उत्खनन का मुद्दा फिर उठ गया है। विक्रमादित्य शोध पीठ के पूर्व निदेशक डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित ने माना कि पूरे शहर में प्राचीन संस्कृति-सभ्यता के पुरावशेष मौजूद हैं लेकिन उनकी उत्खनन नहीं हो पा रहा है। भास्कर ने 20 दिसंबर के अंक में प्रकाशित खबर में यह मुद्दा उठाया था।

 

विक्रमादित्य कालीन पुरावशेषों की खोज

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य का शासन था। इसे अब पुरातात्विक साक्ष्यों से साबित किया जा चुका है। पुरा व इतिहास विदों ने भी विक्रमादित्य के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। विक्रमादित्य शोध पीठ में शीघ्र ही निदेशक की नियुक्ति कर दी जाएगी। इससे विक्रमादित्य से संबंधित पुरावशेषों की खोज का काम फिर से शुरू होगा।

 

खुदाई में निकले मंदिर को सहेजेंगे

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को बताया कि महाकालेश्वर मंदिर परिसर में चल रही खुदाई अब पुरातत्व विशेषज्ञों की निगरानी में होगी। इसके लिए पुरातत्व विशेषज्ञों की कमेटी बना दी गई है। यह कमेटी खुदाई कार्य की निगरानी करेगी। यदि वहां कोई पुरातत्व सामग्री मिलती है तो उसे संरक्षित करने का काम भी कमेटी करेगी। खुदाई में मिले मंदिर के अवशेषों को बिना क्षति पहुंचाए प्रकट करने के लिए यह कमेटी व्यवस्था करेगी। ऐसी पुरातत्व सामग्री की सहेजा जाएगा।

डॉ. यादव ने बताया शहर में पुरातत्व उत्खनन के लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इस संबंध में केंद्रीय स्तर पर मौखिक चर्चा हो चुकी है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद उत्खनन की अन्य प्रक्रिया पूरी कर काम शुरू किया जाएगा। नए प्रस्ताव में गढ़कालिका, वैश्य टेकरी के साथ अब महाकाल मंदिर क्षेत्र को भी शामिल करेंगे। महाकाल मंदिर क्षेत्र से भी पुरावशेष मिलते रहे हैं।

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