बढ़ती ई-रिक्शा की संख्या बन गई शहर के लिए मुसीबत

पंजीयन, परमिट, लायसेंस और नंबर कुछ भी नहीं, सड़कों पर दौड़ रहे 600 से अधिक वाहन

रिक्शा में बिठा रहे हैं क्षमता से अधिक सवारी

अक्षरविश्व न्यूज.उज्जैन। शहर में बढ़ती ई-रिक्शा की संख्या मुसीबत बन गई है। ये यातायात व्यवस्था तो बिगाड़ ही रहे हैं, वहीं इनकी मनमानियों से लोग भी परेशान है। इनके पास पंजीयन, परमिट, लायसेंस, यूनिक नंबर कुछ भी नहीं हैं। फिर भी शहर की सड़कों पर 600 से अधिक रिक्शा दौड़ रहे हैं। इन पर पुलिस का भी नियंत्रण नहीं हैं।

पिछले दिनों सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में ई-रिक्शा का भी मुद्दा उठा था। इनकी बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन ने बिक्री पर प्रतिबंध की बात कही थी लेकिन उसका पालन कहीं नहीं हो रहा है। ये अभी भी कई शोरूम से धड़ल्ले से बिक रहे हैं। इस कारण रोज ही इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। बताया जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में आकर ई-रिक्शा चला रहे हैं।

इन रिक्शा का यूनिक नंबर भी नहीं हैं। ऐसे में कोई घटना हो जाए तो पता लगाना ही मुश्किल होगा। इनमें ड्रायवर सहित कुल 5 सवारी का निर्धारण किया गया है। लेकिन इसके विपरित ये 8 से 10 सवारी तक बैठा रहे हैं। ऑटो इससे अधिक मजबूत है, उसमें ड्रायवर सहित चार सवारी ही बैठ सकती है। वहीं ऑटो वालों पर चालानी कार्रवाई कभी भी हो जाती है। ई-रिक्शा इन सबसे मुक्त हैं। न तो इनका स्टैंड है और न ही रूट का निर्धारण। ये चाहे जहां से निकलते हैं और पूरे रास्ते को ही जाम कर देते हैं।

सवारियों से करते हैं दुव्र्यवहार….

महाकाल लोक बनने के बाद से ही शहर में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ गई है। ई-रिक्शा सस्ता और सुलभ वाहन होने के कारण लोग इसमें बैठना अधिक पसंद करते हैं। भीड़ अधिक होने से ई-रिक्शा वाले मनमाना किराया लेते हैं और नहीं देने पर सवारियों से दुव्र्यवहार भी करते हैं। ऐसे कई मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं।

न रूट और न ही किराये का निर्धारण

किसी समय शहर की यातायात व्यवस्था को बिगाडऩे में टेम्पो की अहम भूमिका रहती थी। अब यह जिम्मेदारी ई-रिक्शावाले बकायदा निभा रहे हैं। शहर का मुख्य मार्ग हो या गली-मोहल्ले सभी जगह इनकी पहुंच आसान है। इनके रूट और न ही किराए तय किया गया है। ई-रिक्शा चालक टे्रफिक नियमों का पालन भी नहीं करते हैं। स्टैंड पर बसों के पहुंचते ही उसके आसपास वाहन लगा देते हैं जिससे यात्रियों को भी वहां से निकलने में परेशानी होती हैं।

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