भस्म-स्पर्श-रगड़ने से महाकाल ​​​​​​​ज्योतिर्लिंग पर छिद्र बढ़ रहे:नहीं चेते तो अब गर्भगृह में भक्तों का प्रवेश पूरी तरह बंद हो सकता है

आस्था ऐसी कि यहां रोज औसतन एक लाख लोग पहुंचते हैं। लेकिन, हमारी लापरवाही से ज्योतिर्लिंग का क्षरण (नुकसान) पहले के मुकाबले बढ़ा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की समिति ने इस पर चिंता जताई है। उसने गर्भगृह में लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की सलाह दी है।

2019 से हर साल ये समिति महाकाल परिसर का निरीक्षण कर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपती है। दिसंबर 2022 में समिति ने निरीक्षण किया। इसमें पाया कि 2021 में दिए गए कई सुझावों पर अमल नहीं किया गया। खासकर शिवलिंग पर भस्म का गिरना, श्रद्धालुओं की स्पर्श पूजा और रगड़ने से ज्योतिर्लिंग को काफी नुकसान हुआ है।

अप्रैल 2021 की रिपोर्ट में समिति ने लिखा था- रगड़ने, भस्म गिरने और स्पर्श पूजा से ज्योतिर्लिंग पर छोटे-छोटे छिद्र बन गए हैं, ये बढ़ रहे हैं। इनमें पूजन सामग्री के कण रह जाते हैं। इससे बैक्टीरिया पनपते हैं, जिससे क्षरण हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक शिवलिंग का आकार 50 सालों में धीरे-धीरे घटा है।

रिपोर्ट में खुलासा – शिवलिंग के छिद्रों में पनप रहे बैक्टीरिया, ये भी क्षरण की बड़ी वजह

ओंकारेश्वर शिवलिंग को हुआ था बड़ा नुकसान

सुप्रीम कोर्ट में पेश दस्तावेजों में बताया गया कि ऐसी ही लापरवाही से ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग को काफी नुकसान पहुंचा था। फिर ज्योतिर्लिंग पर वज्र लेप (भस्म, शिलाजीत, गंधक, सीसा, कांसा और लोहे का मिश्रण) लगाया गया, लेकिन तब तक ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप के 30% हिस्से का क्षरण हो चुका था।

गर्भगृह में प्रवेश रोकने पर सबसे बात कर निर्णय लेंगे

“गर्भगृह में एंट्री और एग्जिट अलग-अलग हों, यह व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो पा रहा है। गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या सीमित की गई है। बंद करने के प्रस्ताव पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी पक्षों से बात करने के बाद निर्णय लिया जाएगा। शिवलिंग पर भस्म गिरने से रोकने के संबंध में कई सुधार किए गए हैं। आगे और भी सुधार किए जाएंगे।”

-कुमार पुरुषोत्तम, कलेक्टर, उज्जैन`

मंदिर कमेटी हर महीने मॉनिटरिंग का सिस्टम बनाए

‘सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हर साल एएसआई और जीएसआई निरीक्षण करके रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपती है। हम सिर्फ ये कह सकते हैं कि जो सिफारिश टीम दे रही है, उसका 100% पालन हो। मंदिर कमेटी को हर महीने मॉनिटरिंग का सिस्टम बनाना चाहिए।’

-डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र, डायरेक्टर (मॉन्यूमेंट्स), एएसआई (सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनी समिति के वरिष्ठ सदस्य)

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