महाकाल में नर्मदा जयंती रंगबिरंगी रोशनी में नहाया मंदिर

उज्जैन के मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के रामघाट पर शुक्रवार को नर्मदा जयंती मनाई गई। पुरोहितों ने मंत्रोच्चार के साथ मां नर्मदा का पूजन अर्चन किया। इसके बाद माता शिप्रा को चुनरी चढ़ाकर महाआरती की गई। पुरोहितों ने विश्व कल्याण की कामना की। रात में महाकाल मंदिर में नर्मदा महोत्सव मनाया गया। बच्चियों के दल ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। कोटितीर्थ कुंड व महाकाल मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया था। महाकाल मंदिर के पुजारी विनीत गिरि ने नर्मदा आरती की।

शिप्रा को चुनरी चढ़ाई

नर्मदा जयंती के अवसर पर विधायक पारस जैन और उनके समर्थकों ने शाम को शिप्रा नदी को चुनरी चढ़ा कर आरती उतारी। विधायक ने कहा कि नर्मदा मैया सबकी मां हैं।

पं. राजेश जोशी ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार मां नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई थी। देवताओं के पाप धोने के लिए भगवान शिव ने मां नर्मदा को उत्पन्न किया था. सच्चे मन से नर्मदा नदी में स्नान किया जाए तो व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं. हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अमरकंटक से मां नर्मदा का उद्भव हुआ था। उन्होंने बताया कि मां शिप्रा में सभी नदियों के गुप्त रूप से समावेश है इसलिए यहां पर स्नान करने से नर्मदा नदी में स्नान का पुण्य मिलता है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त से पहले स्नान करना शुभ होता है। इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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