- भस्मआरती में बाबा महाकाल का मावे से किया श्रृंगार, मखाने की माला पहनाई, खोली गई तीसरी आंख
- चंद्र और बिलपत्र लगाकर भस्म आरती में सजे बाबा महाकाल, जटाधारी स्वरूप में किया श्रृंगार
- भोपाल सांसद ने बैरसिया में स्टेशन बनाने की सदन में उठाई मांग, बोले- चुनाव से पहले किया था वादा
- बाबा महाकाल की सवारी की शोभा बढ़ाएगा 350 जवानों का पुलिस बैंड, 1000 कलाकार डमरू से देंगे प्रस्तुति
- राष्ट्रीय कालिदास चित्र और मूर्तिकला प्रतियोगिता-2021 के पुरस्कार घोषित, इन्हें दिया जाएगा
महाकाल-रुद्रसागर प्रोजेक्ट:ब्रह्मा बने सारथी, सूर्य-चंद्र रथ के पहिए
![](https://ujjainlive.com/wp-content/uploads/2021/01/29-01-2021-01.jpg)
भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर संसार को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। महाभारत और अन्य धर्मग्रंथों में शिवजी की यह कथा काफी प्रचलित है। त्रिपुरासुर के वध के लिए सभी देवी-देवताओं ने सहयोग किया था। जिस रथ पर सवार होकर शिव ने त्रिपुरासुर को मारा उस रथ के सारथी ब्रह्माजी बने, सूर्य और चंद्र रथ के पहिए बन गए। चारो वेद रथ के चार घोड़ बन गए। धनुष की डोर वासुकी नाग बन गए।
धर्मग्रंथों के इस कथानक को महाकाल-रुद्रसागर प्रोजेक्ट के पब्लिक प्लाजा के पास मूर्ति स्वरूप में साकार किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के इंजीनियर कृष्णमुरारी शर्मा के अनुसार 60 फीट लंबे, 15 फीट चौड़े पेडस्टल पर त्रिपुरासुर वध का कथानक आकार ले रहा है। रथ की ऊंचाई 25 फीट है। यह रथ और प्रतिमाएं एफआरपी (फाइबर रैनफोर्स्ड प्लास्टिक) से बनाई जा रही है जो सौ साल तक भी खराब नहीं होगी।