विभागीय लापरवाही:मजिस्ट्रियल जांच भी शुरू लेकिन निगम ने उपयंत्रियों पर विभागीय कार्रवाई तक नहीं की

ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की मौत के मामले में अब नगर निगम अपने ही जाल में घिरता नजर आ रहा है। इस मामले में निगम ही रह गया जो कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।

शुभम का सुसाइड नोट, परिवार का आरोप, एफआईआर, कोर्ट का आरोपियों की अग्रीम जमानत लेने से इंकार, इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी निगम ने अपने इंजीनियर्स पर कोई कार्रवाई नहीं की है। निगम की और से पूरे मामले में कोई एक्शन नहीं लिए जाने के कारण मंगलवार को कलेक्टर आशीष सिंह ने मजिस्ट्रियल जांच बैठा दी।

कलेक्टर को शुभम खंडेलवाल द्वारा वार्ड 25 में कराए गए नाली निर्माण कार्य का मूल्यांकन करने के लिए भी जांच दल गठित करना पड़ा है। ऐसे में अब निगमायुक्त ने नया राग अलापना शुरू कर दिया है कि मजिस्ट्रियल जांच के नतीजों के आधार पर कार्रवाई तय की जाएगी।

डिप्टी कलेक्टर दांगी करेंगे मजिस्ट्रियल जांच, 15 दिन में देंगे रिपोर्ट

संभागायुक्त व निगम प्रशासक आनंद कुमार शर्मा का कहना है कि कलेक्टर आशीष सिंह को मजिस्ट्रियल जांच के लिए निर्देश दिए थे। कलेक्टर ने डिप्टी कलेक्टर वीरेंद्र सिंह दांगी को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। वे 15 दिन में जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। कलेक्टर ने शुभम और निगम इंजीनियर्स के बीच जिस निर्माण का विवाद बताया जा रहा है, उसकी जांच के लिए दल गठित किया है। जांच दल निर्माण कार्य का मूल्यांकन, पंचनामा, फोटोग्राफ्स के साथ जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।

यह काम वार्ड 25 में हुआ था। शर्मा कहते हैं कि सभी सवालों का जवाब अब मजिस्ट्रियल जांच में सामने आएगा। जिस निर्माण का विवाद बताया है, उसकी भी जांच कराई जा रही है। शुभम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी इंतजार है। शुभम की 9 सितंबर को सल्फास खाने के बाद ग्राम नलवा में कार आयशर से टकरा गई थी। जिससे उनकी मौत हो गई थी। मौके से मिले सुसाइड नोट में उन्होंने निगम के दो उपयंत्रियों संजय खुजनेरी और नरेश जैन के कारण आत्महत्या करने की बात लिखी थी। मामले में पुलिस ने इन दोनों उपयंत्रियों सहित 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच में ले रखा है, जिसमें अब मजिस्ट्रीयल जांच होगी।

मजिस्ट्रियल जांच के बिंदु

  • शुभम की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट तथा मृत्यु के समय की अन्य परिस्थितियां।
  • उसके द्वारा निगम में किए कार्यों की भौतिक स्थिति एवं बिलों की स्थिति।
  • मौके से बरामद सुसाइड नोट में बताए गए तथ्य।
  • घटना से जुड़े अन्य वे बिंदु जिन्हें आवश्यक समझा जाएगा।

सवाल- क्या अब इंजीनियर्स को बचाने के लिए नए सिरे से हो रही कवायद?
नए जांच आदेशों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि जांच में जोर इस पर है कि शुभम की खामियां क्या रही, जबकि होना ये चाहिए कि शुभम की मौत के लिए दोषी कौन है और उन्हें सजा मिले। प्रशासन द्वारा जांच में शुभम द्वारा करवाए गए निर्माण के मूल्यांकन को आधार बनाया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि मामले को दूसरी तरफ डायवर्ट किया जा रहा है। हालांकि शुभम के कामों की जांच नगर निगम ने अपने स्तर पर करवा ली है। उन कामों में उपयंत्रियों की क्या भूमिका थी यह स्पष्ट हो गया है। इसके बावजूद उपयंत्रियों पर निगम स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल अब कह रहे हैं शुभम ने जहां काम करवाए थे, उसके काम और भुगतान को लेकर उपयंत्री नरेश जैन और संजय खुजनेरी मुझे पहले अवगत करवा चुके थे।

 

जांच अफसर के बेटे, बहू निगम में ही उपयंत्री

कलेक्टर ने शुभम के वार्ड 25 में किए कामों की जांच के लिए जो टीम बनाई है उनमें पीडब्ल्यूडी पीआईयू के परियोजना यंत्री बीडी शर्मा शामिल हैं। उनके पुत्र आदित्य और बहू मीनाक्षी निगम में ही उपयंत्री है। ऐसे में जांच दल शंका के घेरे में दिखाई दे रहा है।

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