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शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर धोखा:शिप्रा में मिल रcहे 11 नाले, टाटा कंपनी के काम से फूटी पाइप लाइन; ट्रीटमेंट प्लांट तक नहीं पहुंच रहा गंदा पानी
- 9 पंपों से गंदा पानी सीधे ट्रीटमेंट प्लांट जाता है, बारिश के बाद से ही सभी बंद
शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर फिर धोखा हुआ है। शिप्रा में नालों के पानी को रोकने के लिए 9 पंपिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जिसके माध्यम से सीधे गंदा पानी सदावल ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचता है और वहां गंदे पानी का ट्रीटमेंट होने के बाद खेतों को सप्लाई किया जाता है। बारिश के बाद सभी पंपिंग स्टेशन चालू हो जाते हैं लेकिन इस बार बारिश के बाद से ही बंद पड़े हैं, जिसके कारण गंदा पानी शिप्रा में मिल रहा है। यह तो शहर के नालों की बात है, जबकि इंदौर तरफ से आ रही नदी में खान नदी का पानी अभी भी मिल रहा है, जिससे नदी का पानी बदबू मार रहा है।
शिप्रा को शुद्ध करने के लिए कई बार योजना बनी लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया। स्थिति यह है कि शिप्रा अभी भी स्वच्छ नहीं हो सकी। वीआईपी मूवमेंट हो या कोई बड़ा त्योहार, शिप्रा में नदी का पानी छोड़ कमियां छिपा ली जाती है लेकिन त्योहार जाते ही शिप्रा का पानी फिर बदबू मारने लगता है। नगर निगम क्षेत्र में शिप्रा नदी को शुद्ध रखने के लिए 9 पंपिंग स्टेशन बनाए थे, जो सीधे नालों से कनेक्ट हैं। इनके जरिये नालों का पानी सदावल ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचता है। यहां पानी का ट्रीटमेंट करने के बाद खेतों में उपयोग के लिए किसानों को दे दिया जाता है। सभी पंपिंग स्टेशन बारिश के बाद से शुरू हो जाते हैं लेकिन इस बार अफसरों की लापरवाही के चलते शुरू भी नहीं हो पाए। शिकायतों के बाद महापौर मुकेश टटवाल, एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, डॉ. योगेश्वरी राठौर, रजत मेहता, दुर्गा शक्तिसिंह चौधरी के साथ पंपिंग स्टेशनों पर पहुंचे और अफसरों को तत्काल इन्हें चालू करने के निर्देश दिए।
यहां बने हैं 9 पंपिंग स्टेशन- हनुमान नाका, मंछामन, लालपुल, गणगौर दरवाजा, जूना सोमवारिया, वीर दुर्गादास छत्री, आयुर्वेदिक औषधालय सहित अन्य पंपिंग स्टेशन बने हैं। इनमें से 7 बारिश में डूब क्षेत्र में जाने से बंद होते हैं, जबकि दो या तीन ही चालू रहते हैं। वह भी इस बार चालू नहीं हो पाए।