हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनी हनुमान जयंती:मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में बाल हनुमान के जुलूस में बरसाए फूल

बाबा महाकाल की नगरी में निकलने वाला हनुमान जयंती का जुलूस सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बना। देश के कई हिस्सों में धार्मिक जुलूस पर पथराव की घटनाओं के बीच उज्जैन में अनूठा दृश्य देखने को मिला। मुस्लिम बाहुल्य तोपखाना क्षेत्र में मुस्लिम जनों ने बाल हनुमान के जुलूस पर फूल बरसाए एवं पालकी का स्वागत किया। महाकाल घाटी से मदार गेट के बीच करीब छह स्थानों पर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने जुलूस का स्वागत किया। सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस फोर्स, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट तैनात रहे।

श्री हनुमान जन्मोत्सव पर श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में स्थित श्री बाल विजय मस्त हनुमान मंदिर से गुरुवार शाम 7 बजे चल समारोह निकला। बाबा की रजत प्रतिमा को पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया। मंदिर मुख्य पुजारी रामकथा व्यास पं. सुलभ शांतु गुरु के अनुसार सालों से हनुमान जयंती के जुलूस का पूरे नगर के साथ मुस्लिम क्षेत्रों में भी स्वागत किया जाता है। यह परंपरा अब भी जारी है। श्री बाल विजय मस्त हनुमान मंदिर पर दो दिवसीय श्री हनुमान जन्मोत्सव मनाया गया। गुरूवार को मंगला आरती के पश्चात नुक्ती का महाभोग लगाया गया। दोपहर में रामायण जी की पूर्णाहुति हुई। संध्या 6 बजे मुख्य आरती के पश्चात बाल हनुमान रजत प्रतिमा के रुप में पालकी में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देने निकले। चल समारोह में बाबा की पालकी के साथ बैंड बाजे, हाथी, घोड़े, बग्गी, ढोल, नगाड़े, ध्वज पताका के साथ बग्गियों पर हनुमान जी के विभिन्न भक्ति चरित्रों के विग्रह शामिल थे। चल समारोह में बड़ी संख्या में भक्तों के अलावा पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

मुस्लिम समाज ने किया स्वागत

झांकियों ने मनमोह लिया

चल समारोह में शामिल झांकियों में श्रीराम के चरणों की रज से अहिल्या का प्रकट होना। दूसरी झांकी में श्री राम दरबार में हनुमान जी द्वारा सीना चीरकर सीता राम के दर्शन कराना। वहीं तीसरी झांकी में बाल हनुमान की मिट्टी से निर्मित प्रतिमा के सम्मुख रामायण मंडल भजन करने के दृश्य ने मनमोह लिया।

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