आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस दुनिया को कैसे बदल रहा है विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्टि का आयोजन

विक्रम विश्वविद्यालय,उज्जैन के कंप्यूटर विज्ञान संस्थान के सामाजिक प्रकोष्ठ द्वारा आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस दुनिया को कैसे बदल रहा है विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्टि का आयोजन गया | संगोष्ठी की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय द्वारा की गयी | इस एक दिवसीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संस्थान के पूर्व छात्र एवं मुख्य वक्ता श्री विजय गुप्ता, सीनियर डायरेक्टर कैप जैमिनी, पुणे , भारत ने अपने उद्बोधन में उल्लेख किया की देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष के बजट में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) में शोध हेतु ८००० करोड़ का प्रावधान रखा है |

श्री विजय गुप्ता, सीनियर डायरेक्टर कैप जैमिनी, पुणे , भारत ने अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में यह बताया की 1955 में सबसे पहले जॉन मैकार्थी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शब्द का इस्तेमाल किया था, इसीलिये इन्हें फादर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी कहा जाता है। वैसे देखा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की संकल्‍पना बहुत पुरानी है। जब कोई मशीन या उपकरण परिस्थितियों के अनुकूल सीखकर समस्याओं को हल करता है तो यह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दायरे में आता है। इसे विचार करने, नियोजन, सीखने, भाषा की प्रॉसेसिंग, अवधारणा, गति, रचनात्मकता आदि का मिश्रण कहा जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कोई नया विषय नहीं है, दशकों से दुनियाभर में इस पर चर्चा होती रही है। इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जो उन्हीं तर्कों के आधार पर चलता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सबसे बड़ी खूबी है मनुष्यों की तरह सोचना तथा व्यवहार करना और तथ्यों को समझ कर तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया देना। मशीनों का प्रयोग जटिल तथा दुरूह कामों को करने के लिये किया जाता है और यह सर्वविदित है कि मनुष्य की तुलना में मशीनों की सहायता से काम जल्दी पूरा किया जा सकता है। इसे भविष्य की तकनीक इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इससे दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद की जा रही है। इसके इस्तेमाल से संचार, रक्षा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और कृषि आदि क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ सकता है।

दुनिया में जब मशीनों का उदय होना शुरू हुआ था, तो सब की एक ही धारणा थी कि ये मशीनें इंसानी सोच पर ही चलेंगी. इनका खुद का कोई दिमाग नहीं होगा और हमेशा ही ये इंसानी हाथों की कठपुतली बनकर रहेंगी. हालांकि, वक़्त बदला और जन्म हुआ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस या कहें कृत्रिम बुद्धिमत्ता का।

यह एक ऐसी बदलावकारी टेक्नोलॉजी है, जो अपने इजात के बाद से लगातार दुनिया को बदल रही है. ये टेक्नोलॉजी आज हमारे आस-पास बसी है. हमारे स्मार्टफोन से लेकर गाड़ियों तक यह इस्तेमाल होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया की सूरत बदल कर रख देगी।


आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के ज़रिये मशीन मनुष्यों की तरह किसी समस्या को हल कर सकती है। जिस तरह मनुष्य अपने अनुभव से अपनी क्षमता को बेहतर करते हैं, ठीक उसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम भी हैं, जिसके ज़रिये मशीन भी सीखने का काम कर सकती है। स्मार्टफोनों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित असिस्टेंट दिये जाते हैं, जैसे कि गूगल असिस्टेंट। इसे आप जितना इस्तेमाल करेंगे यह उतना सटीक होगा यानी…यह आपसे सीखता है।

मशीन लर्निंग को भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का एक हिस्सा माना गया है। मूल रूप से मशीन लर्निंग एक प्रकार का एल्गोरिद्म है जो किसी सॉफ्टवेयर को सही रूप से चलाने में मदद करता है। इसके लिए वह यूज़र द्वारा देखे गए कुछ परिणामों के आधार पर एक नमूना तैयार करता है और उस नमूने के आधार पर भावी पूछे जाने वाले प्रश्नों के पैटर्न को तैयार कर लेता है। इस प्रकार कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क की भांति सोचने और कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं जिसमें समय के साथ निरंतर विकास होता रहता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला है और कर भी रहा है। फिर भी आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस वैज्ञानिकों के लिये बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसको लेकर निरंतर शोध हो रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी में नित नए बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं।

सहभागी वक्ता श्री अजया पांडेय, वाईस प्रेसिडेंट, जे पी मॉर्गन, चेस एंड कॉर्पोरेशन, डलास, अमेरिका ने भी इस विषय मे अपने विचार रखते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक सबसे बड़ा फायदा उन कंपनियों को हो रहा है, जो कस्टमर सर्विस के क्षेत्र में काम करती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की खासियत है कि ये मशीन लर्निंग पर काम करता है. इसका मतलब है कि यह डेटा को समझकर खुद को और बेहतर बनाता है. इसलिए यूजर से मिल रहे डेटा को यह पहले समझता है और उसके हिसाब से फिर जवाब देता है।

श्री जयवर्धन गुप्ता,वरिष्ठ प्रबंधक, असेन्टर, अमेरिका ने भी इस विषय मे अपने विचारों को रखते हुए बताया किआज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विकास जिस तेजी से हो रहा है, उसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले कुछ सालों में एआई के आने से करोड़ों जॉब्स चली जाएंगी। लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में ऑटोमेटेड रोबोट आने के बाद बड़ी मात्रा में लोगों की जॉब खतरे में आ गई है। आने वाले भविष्य में एक बड़ी वर्कफोर्स एआई की होगी। ऐसे में इंसानों के लिए रोजगार के विकल्प काफी सीमित हो जाएंगे।

श्री राजेन्द्र गंग, वरिष्ठ डिलीवरी मैनेजर, आई.बी.एम. ने बताया ने छात्रों को बताया कि वर्तमान में पूरे विश्व मे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में जितने भी पेटेंट हुए है। इसमे 30 प्रतिशत से अधिक की साझेदारी आई.बी.एम की हैं।

इस संगोष्ठी की संकल्पना संस्थान के निदेशक डॉ उमेश कुमार सिंह की थी, कार्यक्रम में अतिथियो का स्वागत संस्थान के डॉ क्षमाशील मिश्र ने किया, कार्यक्रम का संचालन श्रीमती गीतिका सिंह ने किया आभार डॉ. भूपेंद्र पंड्या ने किया |

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