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उज्जैन का गंभीर बांध:अब केवल पीने के लिए गंभीर का पानी, गेहूं-चना-प्याज की सिंचाई करना प्रतबंधित
गंभीर बांध और नदी से पानी सिंचाई का पानी लेना प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके लिए पेयजल परिरक्षण अधिनियम लागू कर दिया गया है। ताकि गर्मी के दिनों में पानी की कमी से न जूझना पड़े।
नवंबर माह से गंभीर नदी के किनारे खेतों में गेहूं, चने, लहसुन व बटले की बुवाई की जाती है। इन फसलों में पानी की मात्रा बहुत अधिक लगती है। इसके चलते जिन किसानों के खेतों में सिंचाई के साधन नहीं होते वे गंभीर नदी से ही पानी लेते हैं। इसके चलते कलेक्टर आशीषसिंह ने पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-3 के तहत गंभीर बांध के पानी को संरक्षित घोषित कर दिया गया है।
तीन तहसीलों के 24 गांव प्रभावित होते हैं इस पानी से
इसके तहत गंभीर बांध व उससे लगे उज्जैन तहसील के 12, घट्टिया के दो व बड़नगर के 10 गांवों के पीने के लिए संरक्षित किया गया है। कलेक्टर ने मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-4 के तहत गंभीर बांध, शिप्रा नदी से जल को सिंचाई व औद्योगिक उपयोग के उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।
ये विभाग करेंगे निगरानी –
उज्जैन, बड़नगर व घटिया तहसील के एसडीओ राजस्व को इसकी निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है। इस दौरान बिजली कंपनी के अधिकारी भी लगातार निगरानी और निरीक्षण करेंगे। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई का अधिकार भी एसडीओ व अन्य अधिकारियों को दिया गया है।
क्या होगा यदि सिंचाई करते पाए गए
मप्र पेयजल अधिनियम-1986 की धारा-9 के तहत सिंचाई या औद्योगिक उपयोग करते पाए जाने पर संबंधित की मोटर जब्त कर ली जाएगी। साथ ही दो साल का कारावास और दो हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा।