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उज्जैन में होगा आयोजन….मिट्टी दीपक के पते नहीं और 14000 लीटर तेल खरीदने की निविदा निकाली
महाशिवरात्रि का दीपोत्सव आया सवालों के घेरे में…
अभी नहीं कह सकते कितना खर्च होगा…
उज्जैन।महाशिवरात्रि के अवसर पर दीपोत्सव के तहत शहर के विभिन्न स्थानों पर 11 लाख दीपक लगाने पर सवाल उठने लगे हैं। अभी यह तय नहीं है कि 11 लाख मिट्टी के दीपक की व्यवस्था कैसे होगी और जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद ने 14 हजार लीटर सोयाबीन तेल खरीदने की निविदा निकाली है । खास बात यह है कि इसका भुगतान जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद द्वारा किया जाएगा।
महाशिवरात्रि पर 11 लाख दीपक लगाने की प्रारंभिक कार्ययोजना में बताया गया था कि उज्जैन शहर में जनसहयोग और जनभागीदारी से यह भव्य आयोजन में किया जाएगा, लेकिन अब इसकी कुछ अलग ही तस्वीर सामने आ रही है। आयोजन में एक बड़ी राशि जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद की ओर से खर्च की जाएगी।
यह अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद कलेक्टर कार्यालय द्वारा 14000 लीटर सोयाबीन तेल खरीदने की निविदा जारी कर दी गई है। अभी तक यह तय नहीं है कि 11 लाख मिट्टी के दीपों की व्यवस्था कैसे होगी। इसका जवाब ना जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के प्रभारी अधिकारी के पास है और ना ही किसी अन्य अफसर के पास।
तेल पर खर्च होने वाली राशि को कौन वहन करेगा। 11 लाख दीपक व्यवस्था किस तरह से की जाएगी। इस संबंध में जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के प्रभारी अधिकारी,एसडीएम जगदीश मेहरा का कहना है कि खर्च के संबंध में अभी कुछ बता नहीं सकते, जहां तक तेल खरीदी का सवाल है यह व्यवस्था जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक एमएल मारु देख रहे हैं।
इस संबंध में जिला आपूर्ति नियंत्रक मारू का कहना है कि केवल तेल खरीदने के संबंध में निविदा प्रक्रिया का पालन उनको करना हैं। तेल के खर्च और दीपक की व्यवस्था जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद के पास है। इसके अध्यक्ष, कलेक्टर और सचिव प्रभारी अधिकारी जगदीश मेहरा हैं।
कैसे उपलब्ध होगें 11 लाख मिट्टी के दीपक..?
दीपोत्सव में 11 लाख दीपक लगाने का लक्ष्य रखा है। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ दीपकों की व्यवस्था कैसे होगी। इसका फिलहाल किसी के पास जवाब नहीं है। मिट्टी के बर्तन एवं अन्य सामग्री निर्माण करने वाले जानकारों के अनुसार उज्जैन जिले में करीब 60 परिवार ऐसे जो मिट्टी के दीपक बनाने के साथ-साथ मिट्टी अन्य सामग्री के निर्माण का काम करते हैं।
वर्तमान में 5 या 6 परिवार को छोड़कर शेष सभी ईट भट्टों में काम करने के लिए चले गए हैं। ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि 11 लाख मिट्टी के दीपों का निर्माण कैसे होगा। प्रजापत-कुंभकार वर्ग के जानकारों का तो यह भी कहना है कि पूरे प्रदेश भर से भी यदि मिट्टी के दीपक मंगवाएं जाए तो 11 लाख दीपक एक ही दिन में सुरक्षा की स्थिति में एकत्र करना मुश्किल हैं।
पैकिंग बाटल में मांगा तेल
कार्यालय कलेक्टर, पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद द्वारा संक्षिप्त अल्पकालीन निविदा आमंत्रण सूचना जारी की है। इसमें बताया है कि दीपोत्सव के लिए 14000 लीटर सोयाबीन तेल आधा लीटर तथा 1 लीटर बाटल पैकिंग में एफएसएसएआई मानक स्तर की आवश्यकता है। 15 फरवरी तक निविदा आमंत्रित की जाती हैं।
अफसर या जनप्रतिनिधि कोई बोलने को तैयार नहीं
आयोजक कार्यक्रम को भव्य और ऐतिहासिक बताने का दावा कर रहे, लेकिन तैयारी और खर्ज को लेकर सभी खामोश हैं। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
अफसर हो या जनप्रतिनिधि, किसी के पास सवालों का जवाब देने के लिए समय नहीं है। सभी अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं, तो कोई व्यस्तता का हवाला दें रहा हैं। कुल मिलाकर दीपोत्सव के आयोजन पर कोई भी रोशनी डालने को तैयार नहीं हैं।
किसे उपकृत करने के लिए निकाली निविदा
दीपोत्सव आयोजन की पहली बैठक में बताया गया था कि जनभागीदारी और जन सहयोग से 11 लाख दीपक लगाए जाएंगे। उसमें केवल इतना भर बताया गया था कि तेल की समुचित व्यवस्था की जाएगी, लेकिन यह साफ नहीं था कि तेल कौन उपलब्ध कराएगा।
इसे इसका खर्चा कौन वहन करेगा। इस बीच आयोजन के 15 दिन पहले १४ हजार लीटर सोयाबीन तेल की अल्पकालिक निविदा आमंत्रित कर दी गई हैं। दबी जुबान कहा जा रहा है कि दौलतगंज के एक व्यापारी की फर्म को उपकृत करने की दृष्टि से निविदा आमंत्रित की गई हैं। इसका सीधा लाभ उस व्यापारी को होना तय है।