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कम बारिश के सभी रिकॉर्ड टूटे:16 साल में दूसरी बार अगस्त महीने में 100 मिमी से कम बारिश, पिछले वर्ष से इस बार भू-जल स्तर 6 फीट नीचे
अगस्त के महीने में इस बार कोई भी प्रभावी सिस्टम नहीं होने की वजह से अगस्त में सबसे कम बारिश के पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। अगस्त 2023 में इस बार केवल 82.6 मिमी बारिश दर्ज हुई है। अगस्त में इस साल 16 वर्षों में दूसरी बार ऐसा हुआ कि पूरे महीने में कुल 100 मिमी से भी कम बारिश हुई। शहर में इसके पहले वर्ष 2008 में भी अगस्त में 100 मिमी से कम बारिश हुई थी लेकिन तब भी बारिश का आंकड़ा 89 मिमी था, जो इस वर्ष अगस्त में हुई बारिश से ज्यादा है।
शासकीय जीवाजी वेधशाला में इस सीजन में अब तक कुल औसत 900 मिमी के मुकाबले 776 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इसमें अगस्त माह की बारिश मात्र 82.6 मिमी है। अगस्त में कम हुई बारिश से औसत बारिश का ग्राफ भी गड़बड़ा गया है। जिले में भी इस मानसून सीजन में 31 अगस्त तक कुल औसत 567.1 मिमी बारिश हुई है, जबकि पिछले वर्ष 31 अगस्त तक 931.1 मिमी बारिश दर्ज हुई थी। जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 364 मिमी कम है। वहीं प्रदेश की बात की जाए तो अगस्त में पूर्वी मध्यप्रदेश में औसत से 12 प्रतिशत और पश्चिमी मध्यप्रदेश में औसत से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है
शासकीय जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त ने बताया इस बार अगस्त के महीने में कोई प्रभावी सिस्टम नहीं बन पाया। जो एक-दो सिस्टम बने, वह भी कमजोर रहे। अल नीनो का भी प्रभाव रहा। इस कारण अगस्त में इतनी कम बारिश हुई। इधर, महीने का आखिरी दिन भी गर्मी आैर उमस से भरा रहा। दिनभर केवल 4 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चली। दिनभर बादल छाए रहे लेकिन अधिकांश समय तेज धूप खिली रही।
गुरुवार को दिन का अधिकतम तापमान 33.4 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं रात में भी पारा 0.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया। बुधवार-गुरुवार की रात न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विज्ञान केंद्र भोपाल ने शुक्रवार को भी उज्जैन जिले में अधिकांश जगह मौसम शुष्क बना रहने का पूर्वानुमान लगाया है। इस दौरान कहीं-कहीं हल्के बादल छाए रह सकते हैं।
कम बारिश की यह मुख्य वजह
- अगस्त के शुरुआती सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में बने डीप डिप्रेशन का असर पश्चिमी मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा नहीं रहा, जिससे अधिकांश जगह केवल हल्की बारिश ही हुई।
- दूसरे और तीसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में सिस्टम सेंटर मध्यप्रदेश और पश्चिमी मध्यप्रदेश में सक्रिय तो हुआ लेकिन उज्जैन जिले में बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ और इस कारण उज्जैन शहर में तेज बारिश का एक भी दौर नहीं बन पाया।
- अगस्त के तीसरे सप्ताह के बाद बारिश के लिए कोई भी प्रभावी सिस्टम नहीं बन पाया। इस कारण इस बार अगस्त का आखिरी सप्ताह लगभग सूखा रहा। मौसम खुलने से धूप निकल आई। इससे मौसम में एक बार फिर से गर्मी का असर बढ़ गया।
बारिश की खेंच से फसल व कारोबार पर पड़ेगा ज्यादा असर
जिले में बारिश की खेंच के कारण भू-जल स्तर ऊपर नहीं उठ पा रहा है। हालात ये है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अगस्त में जिले का भू-जल स्तर औसतन 6 फीट नीचे है। भू-जल विद् कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष अगस्त में औसतन भू-जल स्तर 13 फीट पर था, जो इस बार 19 फीट नीचे है। कार्यालय के अधिकारी इस स्थिति को संतोषप्रद नहीं, बल्कि चिंताजनक मान रहे हैं।
चिंता यह भी कि मानसून के बचे हुए दिनों में भी यदि बारिश नहीं हुई तो हालात और भी मुश्किल हो जाएंगे। इसका असर खरीफ की फसलों पर तो पड़ेगा ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से व्यापार-व्यवसाय में भी देखने को मिलेगा। भू-जल विद् कार्यालय के प्रकाश चौधरी ने बताया कि 2022 के जुलाई में जिले का भू-जल स्तर 28 फीट था, जो इस बार 32 फीट आंका गया। यानी भू-जल स्तर पिछले वर्ष की तुलना में जुलाई में भी 4 फीट कम था और अगस्त में 6 फीट पहुंच गया है।