केडी गेट से इमली तिराहे तक चौड़ीकरण में मुआवजा नहीं जितना भवन टूटेगा, उतना ऊपर बनाने की अनुमति मिलेगी

उज्जैन । केडी गेट से नयापुरा व गौतम मार्ग होते हुए इमली तिराहा तक चौड़ीकरण में प्रभावित होने वालों को मुआवजा नहीं मिलेगा। जितना हिस्सा टूटेगा, प्रभावितों को उससे अधिक ऊपर भवन निर्माण की परमिशन नगर निगम देगी। इंदौर की तर्ज पर निगम ने शहर में पहली बार इस तरह से चौड़ीकरण की ये प्लानिंग की है, जिसे एफएआर के तहत कार्रवाई करना कहा जाता है। विधानसभा चुनाव के पहले के इस दौर में चौड़ीकरण के लिए क्षेत्रीय विधायक व ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने भी सहमति दे दी है। वे बोले इससे चुनाव पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा बल्कि यह तो वहां के रहवासियों व शहर हित में रहेगा। लिहाजा अफसरों को इसमें रुचि लेकर काम करना चाहिए। इधर नगर निगम कमिश्नर आशीष सिंह ने कहा है कि जल्द ही नोटिस जारी करेंगे। वर्ष 2010 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केडी गेट से इमली तिराहे तक चौड़ीकरण की घोषणा की थी। तब एक साल बाद चौड़ीकरण के लिए सर्वे हुआ था, लेकिन ऐन वक्त पर यह काम टल गया था। इसके बाद आगर रोड चौड़ीकरण व सिंहस्थ के कामाें में अफसर उलझे रहे तो इस काम को नहीं कर पाए। कमिश्नर सिंह ने नए सिरे से तकनीकी टीम से सर्वे करवाया है। सोमवार को छुट्टी से लौटने के बाद उन्होंने पहली बार स्पष्ट किया कि चौड़ीकरण की डीपीआर में मुआवजे का प्रावधान नहीं किया है। चौड़ीकरण एफएआर के तहत इंदौर की तर्ज पर करेंगे।

ऐसे समझें एफएआर को
कार्यपालन यंत्री बीएस जामोद ने बताया एफएआर का हिंदी अर्थ तल निर्माण क्षेत्र है। यदि किसी भवन स्वामी का 1000 में से 300 स्क्वेयर फीट हिस्सा चौड़ीकरण में जाता है तो संबंधित क्षेत्र की निर्माण वेल्यू में छूट देते हुए उसे बचे हुए 700 स्क्वेयर फीट हिस्से में दो से तीन गुना तक निर्माण की स्वीकृति दी जाती है। निगम प्रभावितों को यह स्वीकृति लिखित में देगा।

मंगलनाथ व महाकाल को जोड़ने वाला एकमात्र मार्ग
केडी गेट से इमली तिराहा वाला एक ऐसा मार्ग है जो गायत्री शक्तिपीठ, मंगलनाथ मंदिर, गोपाल मंदिर व महाकाल मंदिर को जोड़ता है। चौड़ीकरण के बाद इस मार्ग से श्रद्धालुओं व टूरिस्ट की आवाजाही भी बढ़ जाएगी। इससे मार्ग में पड़ने वाले सात वार्डों के कारोबारियों को चौड़ीकरण से फायदा होगा।

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