क्यों जाएं शासकीय अस्पताल को छोड़कर अरबिंदो-आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज

कोविड-19 के लिए माधव नगर अस्पताल को करें तैयार पांच वार्ड-150 पलंग-एक आईसीयू-10 वेंटीलेटर हैं माधवनगर अस्पताल में मानिटरिंग रूम और स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की है अस्पताल में आवश्यकता करोड़ो रुपए बचेंगे शासन के और उज्जैन में हो जाएगा स्थायी अस्पताल

उज्जैन:एक जमाने में जब टीबी रोग महामारी बनकर सामने आया था, तब तत्कालिन प्रदेश सरकार ने आगर मार्ग पर टीबी अस्पताल (आज का चरक भवन) बनवाया था। यहां केवल टीबी रोग का उपचार होता था। जब स्वाइन फ्लू आया तो माधवनगर अस्पताल को चिह्नित करके, केवल इसी रोग के मरीजों का उपचार किया गया।

अब जब कोविड-19 से लडऩा है तो माधव नगर अस्पताल को छोड़कर करोड़ो रुपए खर्च करने के लिए इंदौर या कहीं ओर क्यों जा रही है प्रदेश सरकार..? इस प्रश्न का उत्तर इसलिए जरूरी है क्योंकि आम आदमी का प्रायवेट अस्पतालों से विश्वास टूट गया है। आज भी वह शासकीय अस्पताल में ही उपचार करवाना चाहता है। कोरोना के मरीज माधवनगर अस्पताल जाने को तैयार है, आर.डी. गार्डी या अरबिंदो नहीं।

सिंहस्थ-2004 में माधव नगर अस्पताल को ट्रामा यूनिट के रूप में डेवलप किया था। इस अस्पताल में एक लिफ्ट है और दो मंजिलों में संचालित अस्पताल भवन में वार्ड से लेकर विभिन्न कक्ष तथा मूलभूत सुविधाएं मौजूद है। शहर के बीच में होने से हर व्यक्ति की जद में है। सालों से यह अस्पताल प्रसव, आंख,हड्डी और ओपीडी के रूप में संचालित हो रहा है।

मार्च से जिला प्रशासन ने कोविड-19 के रूप में चिह्नित किया और यहां पर कोरोना के मरीजों को रखा जाने लगा था। मेन पॉवर (चिकित्सक एवं पेरा मेडिकल स्टॉफ) के अभाव में आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को भेजा जाने लगा। वहां मरीजों की लगातार मौत ने जहां लोगों को विश्वास तोड़ा। वहीं अधिक दूरी पर होने के कारण भी लोग परेशान हुए। पूरे शहर से यह मांग उठ रही है कि अब प्रदेश सरकार माधव नगर अस्पताल को कोविड-19 से जंग लडऩे के लिए तैयार करे।

 

पांच जिलों के मरीज आते हैं

प्रदेश सरकार यदि यहां कोविड-19 का उपचार प्रारंभ करती है तो समीपस्थ जिलों के लोगों को भी लाभ मिलेगा। यहां पर अभी राजगढ़-ब्यावरा, शाजापुर, देवास, रतलाम और सांवेर के मरीज उपचार के लिए, ऑपरेशन के लिए आते हैं। उदाहरण है कि राजगढ़-ब्यावरा से भोपाल 110 किमी है और उज्जैन 150 किमी। वहां के लोगों का कहना है कि भोपाल इलाज करवाने जाओ तो चाहिए एक बार में 50 हजार रुपए। उज्जैन आओ तो 5 हजार रुपए में काम हो जाता है। यहां इलाज, भोजन, धर्मशालाएं सस्ती है। इंदौर-भोपाल की जगह उज्जैन सस्ता शहर है। चिकित्सक सुलभ हैं।

 

केवल मैनपॉवर की जरूरत

माधव नगर अस्पताल के 10 वर्ष से अधिक समय तक प्रभारी रहे डॉ.विनोद गुप्ता के अनुसार इस समय माधवनगर अस्पताल में तीन एमडी फिजिशियन हैं। जानकारों का कहना है कोविड-19 के लिए यहां केवल 6 एमडी मेडिसिन (तीन उपलब्ध हैं), 6 पल्मनोलाजिस्ट, 6 वेंटीलेटर के लिए टेक्निशियन चाहिए। इतना होने पर अस्पताल दौडऩे लगेगा। अन्य सपोर्टिंग स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी समय रहते पूरी हो जाएगी। शहर में निजी क्षैत्र में संचालित अस्पतालों एवं निजी प्रेक्टिस कर रहे डॉक्टस में उपरोक्त सारी फैकल्टी के डॉक्टर्स उपलब्ध हैं।

 

विधायक बोले- ग्रीन जोन से बुलवा सकते हैं डॉक्टर्स

विधायक पारस जैन ने कहा माधवनगर अस्पताल को यदि कम रुपए खर्च में कोविड-19 के उपचार योग्य बनाया जा सकता है, तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। रही मैनपॉवर की बात तो मुख्यमंत्री को मेरा सुझाव है कि प्रदेश के जिन जिलों में कोरोना को लेकर सामान्य स्थिति है (ग्रीन जोन) वहां के शासकीय चिकित्सकों को उज्जैन बुलवाया जा सकता है। ऐसा होने पर हम कोरोना से जंग जीत जाएंगे। वैसे भी कोरोना के मरीज लम्बे समय तक निकलेंगे, ऐसे में स्थायी रोग विशेष का हास्पिटल होना बड़ी बात हो जाएगी।

 

यह आधारभूत संचरना है अभी अस्पताल की

अस्पताल में पांच वार्ड है, जिनमें 40-40 पलंग लगते हैं। कोरोना के चलते एक-एक मीटर की दूरी बनाकर पलंग लगाएं तो प्रत्येक वार्ड में 30-30 पलंग लग सकते हैं। सभी वार्डो में शौचालय है। दो ऑपरेशन थियेटर साहित आईसीयू में इस समय मानीटर, ऑक्सीजन सिस्टम सहित 10 वेंटीलेटर है, जिनमें से 7 संचालित हैं। डॉक्टर्स रूम, विजिटर्स रूम, स्टोर, ओपीडी सहित यहां पर केंटीन भी है। एक लिफ्ट है, जो पुन: चालू की जा सकती है। यहां बड़ा परिसर एवं एम्बुलेंस आदि रखने के लिए स्थायी शेडवाली पार्किंग है।

हम तो शुरू से ही इलाज कर रहे, मैन पावर की जरूरत है : कोविड-19 का माधवनगर अस्पताल में उपचार कर रहे डॉ.एच पी सोनानिया एवं डॉ.महावीर खंडेलवाल ने इस संबंध में चर्चा करने पर कहा कि हम तो प्रारंभ से ही उपचार कर रहे हैं। यहां मेन पॉवर की कमी है। दूर हो जाए तो अच्छे से उपचार किया जा सकता है। इस दिशा में सोचने पर उज्जैन में स्थायी शासकीय सौगात हो जाएगी।

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