गुरुपूर्णिमा की रात चंद्रग्रहण…मंदिरों में बदलेगा आरती पूजन का समय

उज्जैन। गुरुपूर्णिमा पर 16-17 जुलाई की मध्यरात्रि चंद्रग्रहण की दुर्लभ खगोलीय घटना होगी। धार्मिक मान्यता में ग्रहण काल के 13 घंटे पहले वेध काल (सूतक) लग जाता है। इस दौरान अनेक मंदिरों में आरती पूजन का समय बदलेगा। गऊघाट स्थित शासकीय जीवाजीराव वेधशाला में ग्रहण देखने के लिए टेलीस्कोप का इंतजाम किया जाएगा। अगर मौसम साफ रहा तो शहरवासी चंद्रग्रहण का नजारा देख सकेंगे।

वेधशाला अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गुप्त के अनुसार 16 जुलाई को शाम 6 बजकर 56 मिनट 52 सेकंड पर चंद्रोदय होगा। शुरुआत में चंद्रमा चमकीला दिखाई देगा। रात्रि 1 बजकर 31 मिनट 5 सेकंड पर चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी। ग्रहण का मध्य रात्रि 3 बजे तथा मोक्ष तड़के 4 बजकर 30 मिनट पर होगा। ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे की रहेगी। ग्रहण की पूर्ण अवस्था में चंद्रमा 65.8 फीसद ढंका हुआ नजर आएगा। अगर बारिश नहीं हुई और मौसम साफ रहा तो खगोल प्रेमियों को वेधशाला में टेलीस्कोप से ग्रहण की अत्यंत सुंदर खगोलीय घटना दिखाई देगी। खगोल विज्ञान में इस चंद्रग्रहण को आंशिक चंद्रहण का नाम दिया गया है।

महाकाल में बुधवार सुबह 5 बजे से होगी भस्मारती

17 जुलाई को श्रावण मास का पहला दिन है। मंदिर में श्रावण मास की व्यवस्था अनुसार रात्रि 3 बजे मंदिर के पट खुलना थे। ग्रहण के कारण दो घंटे देरी से सुबह करीब 5 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। तड़के 4.30 बजे ग्रहण के मोक्ष के बाद फायर फाइटर से मंदिर को धोया जाएगा। कर्मचारी स्नान के बाद मंदिर आएंगे। पुजारी भगवान को शुद्घि स्नान कराने के बाद भस्मारती करेंगे।

गोपाल मंदिर में भगवान को मोहन भोग लगेगा

सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के प्रसिद्घ गोपाल मंदिर में 17 जुलाई को सुबह ग्रहण के मोक्ष के बाद गोपालजी को स्नान कराकर अभिषेक पूजन किया जाएगा। पुजारी पं.अर्पित जोशी ने बताया मंदिर में ग्रहण के बाद भगवान को मोहन भोग लगाने की परंपरा है। इसके चलते मंगला आरती में भगवान को मोहन भोग लगेगा।

सांदीपनि आश्रम में दिन में शयन आरती

भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में 16 जुलाई को गुरुपूर्णिमा उत्सव मनेगा। पुजारी पं.रूपम व्यास ने बताया मंदिर की मान्यता अनुसार ग्रहण के 13 घंटे पहले सूतक माना जाएगा। इसलिए बुधवार सुबह गुरुश्रेष्ठ सांदीपनि का पंचामृत अभिषेक कर पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद दोपहर 12.30 बजे शयन आरती होगी। इसके बाद गर्भगृह में आम दर्शनार्थियों को प्रवेश बंद रहेगा। गुरुपूर्णिमा होने से भक्तों को दिनभर बाहर से गुरु सांदीपनि के दर्शन होंगे।

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