- प्रयागराज कुंभ के लिए मुख्यमंत्री को मिला विशेष आमंत्रण! हरिद्वार से आए निरंजनी अखाड़ा प्रमुख ने मुख्यमंत्री यादव से की भेंट, उज्जैन में साधु-संतों के लिए भूमि आवंटन निर्णय को स्वामी कैलाशानंद ने बताया प्रशंसनीय
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग-चंदन और रजत मुकुट के साथ सजे बाबा महाकाल, भक्तों ने किए अद्भुत दर्शन
- महाकाल के दर पर पहुंचे बी प्राक, भस्म आरती में शामिल होकर लिया आशीर्वाद; करीब दो घंटे तक भगवान महाकाल की भक्ति में दिखे लीन, मंगलनाथ मंदिर में भी की पूजा
- भस्म आरती: बाबा महाकाल के दिव्य श्रृंगार और भस्म आरती के साथ गूंजा "जय श्री महाकाल"
- 25 दिसंबर को रिलीज़ से पहले 'बेबी जॉन' की टीम ने मांगा बाबा महाकाल का आशीर्वाद! उज्जैन में महाकाल मंदिर पहुंचे वरुण धवन और टीम, भस्म आरती में हुए शामिल
चरक अस्पताल के बिलों में बड़ी गड़बड़ी:ऑडिट में खुलासा
चरक अस्पताल में 2016 से संचालित मैकेनिज्म लॉन्ड्री के बिलों में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। ग्वालियर टीम के ऑडिट में खुलासा हुआ है कि लॉन्ड्री संचालक ने ओवर राइटिंग कर बिलों में राशि बढ़ा ली थी, जो आर्थिक अनियमितता व गड़बड़ी की श्रेणी में आता है।
जिला अस्पताल के वार्ड के रजिस्टर से मिलान करने पर पता चला कि वहां के रिकाॅर्ड में कम चादर दर्ज थे और कांट्रेक्टर के प्रपत्र में ज्यादा चादर दर्शाए गए। गड़बड़ी सामने आने पर जिला प्रशासन व जिला अस्पताल प्रशासन ने कांट्रेक्टर पर 18 लाख की पेनल्टी निकाली है।
साथ ही जांच में यह भी पाया गया है कि कांट्रेक्टर ने चरक अस्पताल के बिजली कनेक्शन से लॉन्ड्री में बिजली का उपयोग किया, जिससे करीब 23 लाख की बिजली जलाई। बिजली बिल सहित कांट्रेक्टर पर करीब 41 लाख रुपए निकाले गए हैं। इसकी वसूली कांट्रेक्टर से की जाना है। सिंहस्थ-2016 में आगर रोड पर 450 बेड के चरक अस्पताल का संचालन शुरू किया था। जिसमें अस्पताल के चादर या अन्य कपड़ों की धुलाई व प्रेस कर देने के लिए जून-2016 में मैकेनिज्म लॉन्ड्री का ठेका मेसर्स गुमास्ते कांट्रेक्टर ज्योतिनगर को पांच साल के लिए 21 जून 2021 तक के लिए दिया गया था।
इसमें ठेका कंपनी को जिला अस्पताल, चरक अस्पताल आदि के चादर व अन्य कपड़े लॉन्ड्री में धुलाई और प्रेस करके देना थे। जुलाई-2017 में ग्वालियर की ऑडिट टीम ने लॉन्ड्री के बिलों की जांच की तो पाया कि ओवर राइटिंग कर बिलों की राशि ज्यादा दर्शाई गई है। जबकि अस्पताल के वार्डों में चादर की संख्या कम पाई गई।
यानी चादर कम धोकर दी गई और प्रपत्र में बढ़ाकर दर्शा दी गई। इसके चलते कांट्रेक्टर के बिल पेंडिंग कर दिए गए। ऑडिट आपत्ति के बाद कांट्रेक्टर के बिलों का भुगतान रोक दिया गया। जिला प्रशासन के पास यह मामला पहुंचने पर कमेटी का गठन किया जाकर जांच करवाई गई। इसमें बिलों में गड़बड़ी पाई जाने पर कांट्रेक्टर पर 18 लाख की पेनल्टी निकाली गई।
चरक अस्पताल के बिजली कनेक्शन से लॉन्ड्री में बिजली का उपयोग किया जाता रहा। इसका बिल करीब 23 लाख रुपए है। बिल की राशि तथा पेनल्टी सहित कांट्रेक्टर पर करीब 41 लाख की राशि निकाली गई है। इसे कांट्रेक्टर को जमा करना है, इसके लिए उसे नोटिस जारी किया जा चुका है।
निजी अस्पताल व होटल के चादर धोए जाते रहे
चरक अस्पताल की लॉन्ड्री में केवल सरकारी अस्पतालों की चादर ही धोए जा सकते थे लेकिन कांट्रेक्टर ने मनमानी करते हुए प्राइवेट अस्पताल व होटल के चादरों तक की यहां धुलाई की। जिला अस्पताल के पूर्व के अधिकारियों ने रंगेहाथ बाहर की चादरों को लॉन्ड्री में धोते पकड़ कर कार्रवाई की।
बिजली कंपनी में नौकरी और अस्पताल में ठेके
बिजली कंपनी में पदस्थ रहने के बावजूद पांडुरंग गुमास्ते द्वारा अपनी फर्म के माध्यम से जिला अस्पताल व चरक अस्पताल में ठेके लिए जाते रहे हैं। उन्होंने सख्याराजे प्रसूतिगृह में कैंटीन का ठेका लिया। उसके बाद चरक अस्पताल का संचालन शुरू होने पर यहां भी कैंटीन का संचालन जारी रखा।
चरक अस्पताल में मैकेनिज्म लॉन्ड्री का ठेका हथिया लिया। अस्पताल में अधिकारियों को वाहन उपलब्ध करवाने के लिए भी ठेके लिए। इसमें पूर्व में गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है। ठंड में कार आदि चार पहिया वाहनों में एसी चलाना दर्शाकर बिलिंग की गई।
गड़बड़ी के चलते ठेका समाप्त कर दिया
बिलों में गड़बड़ी के चलते मेसर्स गुमास्ते कांट्रेक्टर का ठेका अक्टूबर-2020 में ही समाप्त किया जा चुका है। नया ठेका होने तक उक्त कांट्रेक्टर से ही कार्य लिया जा रहा है। हालांकि जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से नए ठेके के लिए नोटशीट बनाकर जिला प्रशासन को भेजी जा चुकी है। नया ठेका होते ही गुमास्ते से लॉन्ड्री का कार्य लेकर नई फर्म को दे दिया जाएगा।
बिलों में गड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं
लॉन्ड्री का संचालन ठेके की शर्तों के तहत ही किया जा रहा था। हमारी फर्म द्वारा जिला अस्पताल प्रशासन से पेंडिंग बिल के निराकरण की डिमांड लंबे समय से की जाती रही है। बिलों में गड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं है। सही बिल प्रस्तुत किए गए हैं।
– पांडुरंग गुमास्ते, संचालक, मेसर्स गुमास्ते कांट्रेक्टर
प्रशासनिक कमेटी की जांच में गड़बड़ी मिली है
ऑडिट आपत्ति आने के बाद बिलों का भुगतान रोका गया। जिला प्रशासन की कमेटी की जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर लॉन्ड्री का ठेका निरस्त किया जा चुका है। मेसर्स गुमास्ते कांट्रेक्टर पर 18 लाख की पेनल्टी लगाई गई है तथा 23 लाख के बिजली बिल की वसूली भी बाकी है।
– राहुल पंडया, टेंडर प्रभारी, जिला अस्पताल