छोटी उम्र में छुआ बुलंदियों का आसमां

मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों में उड़ान होती है। किसी शायर की इन पक्तियों को शहर की एक नन्ही परी ने सच कर दिखाया है। छोटी सी उम्र में बुलंदियों का आसमां छूने वाली अनन्या गौर कथक नृत्यांगना हैं। अनन्या ने देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कई अवार्ड जीतकर शहर का नाम रोशन किया और उन लोगों के सामने मिसाल कायम की है जो बेटियों को आज भी बोझ मानते हैं।

स्टेनफोर्ड इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा नौवीं की छात्रा अनन्या ने महज चार साल की उम्र में कथक का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। अनन्या बताती हैं उन्हें कथक सीखते हुए दस वर्ष हो गए हैं।

बचपन से डांस का शौक था। मां कल्पना गौर ने अनन्या की रुचि को देखते हुए उन्हें डांस क्लास में भेजा। नृत्यांगना बनने का सपना और कथक की ओर रूझान होने से अनन्या ने अपनी गुरु पद्मजा रघुवंशी से प्रशिक्षण लेना शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनन्या ने अपनी कला के दम पर प्रदेश और देश के कई शहरों में परफॉर्म किया और कई अवार्ड और सम्मान प्राप्त किए। हाल ही में हैदराबाद में हुई ऑल इंडिया क्लासिकल नृत्य प्रतियोगिता में अनन्या ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। अब अनन्या दिसंबर में कोलंबो (श्रीलंका) में प्रस्तुति देंगी। अनन्या अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी गुरु पद्मजा रघुवंशी को देती हैं।

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