डाई के लिए दूर जाने की जरूरत नहीं, उज्जैन में खुलेगा प्लास्टिक क्लस्टर

उज्जैन | औघोगिक क्षेत्र में शहर को प्लास्टिक क्लस्टर की नई सौगात मिलने वाली है। स्थानीय उद्योगपतियों की करीब ६ वर्षों की मेहनत और प्रयास के बाद सरकार ने क्लस्टर स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। क्लस्टर स्थापित होने के बाद शहर व आसपास की प्लास्टिक यूनिट्स को मोल्ड (डाई) के लिए दिल्ली-मुंबई या अन्य बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। भोपाल के सीपेड को छोड़कर प्लास्टिक उद्योग क्षेत्र में यह प्रदेश का पहला कॉमन फैसिलिटी सेंटर होगा, जहां आधुनिक मशीनों की सुविधा मिलेगी।
शहर में कई प्लास्टिक यूनिट्स हैं। अब तक इन्हें संचालित करने वाले उद्योगपतियों को मोल्ड, टेस्टिंग, रॉ मैटेरियल सहित अन्य आवश्यकताओं के लिए अन्य बड़े शहरों पर निर्भर रहता पड़ता है। यहां तक कि कुछ खास मोल्ड चीन या अन्य देशों से भी आयात करवाना पड़ते हैं। इसके चलते प्रोडक्ट की लागत काफी बढ़ जाती है। अब शहर में ही प्लास्टिक क्लस्टर स्थापित होने वाला है। इसके बाद मोल्ड सहित प्लास्टिक टेस्टिंग व अन्य सुविधाएं स्थानीय स्तर पर मिल सकेंगी। उज्जैन के साथ ही इसका लाभ आसपास के शहरों के करीब ५०० प्लास्टिक उद्योगों को मिलेगा। २०० से अधिक नए रोजगार सृजन की उम्मीद है। रविवार को सांसद चिंतामणि मालवीय, लघु उद्योग भारती के उल्लास वैद्य और अतीत अग्रवाल ने बताया, प्लास्टिक क्लस्टर की योजना को सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त हो गई है। कुछ दिनों में भूमिपूजन कर इसका निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। एक वर्ष में क्लस्टर स्थापित होने की संभावना है।

प्रदेश का पहला कॉमन फैसिलिटी सेंटर
सरकार ने करीब १८ वर्ष पूर्व माइक्रो स्मॉल इंटरप्राइजेस क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम योजना शुरू की थी। इसमें एक प्रकार के उद्योग मिलकर समूह (क्लस्टर) बनाते और अपनी समस्या व आवश्यकता सरकार को प्रोजक्ट के माध्यम से बताते हैं। इसमें सरकार सीधे उद्योगों को सहयोग करती है। प्रोजक्ट मंजूर होने पर सरकार की ओर से भूमि आवंटन, सब्सिडी व क्लस्टर संचालन में सहयोग मिलता है। उज्जैन में क्लस्टर स्थापित होने के बाद उद्योगपतियों की कंपनी इसका संचालन करेगी वहीं भारत सरकार और प्रदेश सरकार के अधिकारी व एकेवीएन का सहयोग मिलेगा। अग्रवाल के अनुसार योजना अंतर्गत प्लास्टिक क्लस्टर प्रदेश का पहला कॉमन फैसिलिटी सेंटर होगा।

उद्योग जगत में नई शुरुआत
सांसद मालवीय ने बताया, प्लास्टिक क्लस्टर से वर्तमान में तो उद्योगों को लाभ मिलेगा ही, औद्योगिक जगत में उज्जैन के भविष्य के लिए भी यह नई शुरुआत होगी। इससे प्लास्टिक उद्योग में शहर को अलग पहचान मिलेगी। अन्य क्लस्टर व यूनिट्स के लिए भी रास्ते खुलेंगे। उन्होंने बताया, फूड प्रोसेसिंग यूनिट व प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही उज्जैन में एयरपोर्ट विकसित करने के लिए भी आवश्यक प्रयास किए जाएंगे।

४० हजार वर्ग फीट पर स्थापित होगा क्लस्टर
प्लॉस्टिक क्लस्टर स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने देवासरोड विक्रम उद्योगपुरी में ४० हजार वर्गफीट जमीन आवंटित की है। करीब १० करोड़ रुपए की लागत से इसकी स्थापना होगी।

२०११ से चल रहा था प्रयास
अतीत जैन ने बताया, प्लास्टिक क्लस्टर के लिए लघु उद्योग भारती द्वारा वर्ष २०११ से प्रयास किए जा रहे थे। प्लास्टिक उद्योगों के संचालकों ने श्री मालवा प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड पैकेजिंग क्लस्टर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी गठित कर इसकी योजना तैयार की थी। तीन बार यह योजना नामंजूर भी हुई। सांसद मालवीय के सहयोग से अब इसे अंतिम मंजूरी मिल गई है। क्लस्टर का संचालन श्री मालवा प्लास्टिक कंपनी द्वारा किया जाएगा वहीं तकनीकी विशेषकों की सेवाएं लेंगे।

उज्जैन और प्लास्टिक उद्योग
उज्जैन में ७० से अधिक प्लास्टिक उद्योग हैं। यहां प्लास्टिक दाने के साथ ही बोतल, कप-प्लेट, ढक्कन, पाइप सहित प्लास्टिक की अन्य सामग्री तैयार होती है। इन उद्योगों में २ हजार से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं। यहां का प्रोडक्शन देशभर में सप्लाई होता है। यहां की प्लास्टिक इंडस्ट्रीज का टर्नआेवर औसत एक करोड़ रुपए प्रतिदिन तक का है। ऐसे में क्लस्टर स्थापित होने से प्लास्टिक उद्योग को बड़ा फायदा मिलेगा।

प्लास्टिक क्लस्टर में यह सुविधा

टूल रूम- यह डिजाइन कम मेंटेनेंस सेंटर होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक उत्पादों के मोल्ड बनेंगे। प्लास्टिक सामान निर्माताओं के विभिन्न मेंटेनेंस कार्य स्थानीय स्तर पर तुरंत और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता युक्त हो सकेंगे। अभी इंदौर में निजी इंडोजर्मन टूल रूम है, लेकिन यहां खर्च अधिक करना पड़ता है। जानकारों के अनुसार उज्जैन में टूल रूम बनने से मोल्ड आदि के खर्च में ५० फीसदी तक बचत होने की उम्मीद है।
रॉ-मैटेरियल बैंक- शहर में ५०० से ज्यादा प्लास्टिक के विनिर्माण उत्पादों के लिए रॉ-मैटेरियल बैंक स्थापित होगा। सभी की आवश्यकतानुसार बड़े पैमाने रॉ-मैटेरियल मंगाया जाएगा। बैंक से उद्योगपतियों को प्रतियोगी दर पर रॉ-मैटेरियल मिलेगा। इससे प्रोडक्ट की लागत में १०-१५ फीसदी की कमी होगी।

टेस्टिंग लैब- क्लस्टर में आधुनिक टेस्टिंग लैब विकसित की जाएगी। इससे पता चल सकेगा कि किस प्रोडक्ट में किस प्रकार का प्लास्टिक उपयोग किया जा रहा है। उज्जैन में अभी यह सुविधा नहीं है। लैब से स्थानीय निर्माताओं के प्रोडक्ट की गुणवत्ता और क्षमता में २०-३० फीसदी बढ़ोतरी होगी वहीं लागत ५-१० प्रतिशत कम होगी।

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